इच्छा या जरूर

#इच्छा_या_जरूरत
इच्छा का अन्त नहीं है लेकिन जरूरत पूरी हो जाती है।
इच्छा पूरी होने पर दुःख का कारण भी बनती है।
#श्रीमद्भागवत_गीता में कहा गया है -
विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्र्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति।।
अध्याय 2 श्लोक 71
भावार्थ
जिस व्यक्ति ने इन्द्रियतृप्ति की समस्त इच्छाओं का परित्याग कर दिया है, जो इच्छाओं से रहित रहता है और जिसने सारी ममता त्याग दी है तथा अहंकार से रहित है, वही वास्तविक शान्ति प्राप्त कर सकता है |
भोजन आपकी जरूरत है, ये जरूरत पूरी हो जाएगी।
लेकिन दुनियाँ को हर चीज खाना आपकी इच्छा हो सकती है, लेकिन आवश्यक नहीं है कि ये इच्छा पूरी हो जाये।
आपको पैसा मिलता है जरूरत पूरी हो जाती है तो अच्छा है, लेकिन जब पड़ोसी से ज्यादा पैसा पाने की इच्छा होती है तो मन मस्तिष्क परेशान होता है।
पड़ोसी कुछ नहीं कर रहा है, वो अपने गुण के अनुसार कमा रहे है।
आपने उससे तुलना कर के खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारी है क्योंकि आपकी इच्छा जाग रही है इसे ऊँचे उठने की।
अपनी जरूरत पूरी करो और इच्छा के रोग से बचो।
जरूरत पूरी होने पर सेटिस्फेक्शन मिल जाता है।
लेकिन इच्छा क्या करती है, वो इन कहानियों में है -
एक आदमी को जादुई_चिराग मिल गया तो उसने रगड़ दिया।
उसमें से #जिन्न निकल आया।
जिन्न बोला 3 इच्छाएँ पूरी करूँगा, उसके बाद तुम्हारी जान ले लूँगा।
 बोल क्या इच्छा है?
आदमी बोला -
मुझे आज ही 10 लाख रुपये चाहिए।
जिन्न ने कहा शाम तक मिल जाएंगे।
शाम के समय एक आदमी आया और दरवाजा खटकाया।
जब दरवाजा खोला तो सीधे ही 10 लाख रुपये से भरा बैग मकान मालिक के हाथ मे देकर बोला कि मेरी गाड़ी के नीचे आकर आपका लड़का  मर गया।
मैं उसके बदले में आपको ये 10 लाख रुपये देने आया हूँ।
इतना सुनना ही था कि वो आदमी पागल बेहोश हो गया सुन के।
जब होश में आया तो जिन्न को बुलाया।
जिन्न से उसने कहा कि मेरी दूसरी इच्छा है कि मेरा बेटा मुझे जिन्दा लौटा दे।
जिन्न ने कहा कि उसका शरीर कट फट गया था, उसके शरीर के बिना जिन्दा करना मुश्किल है लेकिन मैं उसे इस घर में ले आऊँगा।
उस लड़के की भटकती हुई आत्मा घर में आ गई जो प्रेत बन चुकी थी।
माँ बाप फिर परेशान।
उन्होंने जिन्न से कहा -
भगवान के लिए यहां से चला जा।
जिन्न वहाँ से चला गया और थोड़ी देर बाद फिर वापस आ गया कि आपकी 3 इच्छाएँ मैंने पूरी कर दी, लेकिन अब आपको मार देना बाकी रह गया है।
जिन्न ने उनको खत्म कर दिया।
माता पिता की मृत्यु जीवन का बहुत बड़ा सच है।
एक लड़के ने भगवान से मांग लिया कि मेरे माँ बाप जीते रहें।
लड़के की नजर में तो माँ बाप जिन्दा रहे लेकिन माँ बाप से पहले लड़का चल बसा।
अब लड़के की इच्छा तो भगवान ने पूरी कर दी लेकिन माँ बाप तो मरते दम तक औलाद की अर्थी का दुःख झेलते रहे।
एक कहानी सुनी थी -
एक सैनिक की ड्यूटी हिमालय के आसपास वाले एरिया में लगी थी।
उसे जंगल में 30-32 साल का एक आदमी मिला।
इससे बात करने पर पता लगा वो एक साधक है।
सैनिक ने आयु पूछ ली तो उस साधक ने कहा मैं 800 साल का हूँ।
सैनिक ने उससे इतनी लम्बी उम्र तक जीने और जवान रहने का राज पूछा तो साधक ने बताया कि यहाँ हिमालय में एक जड़ी बूटी है, इसको जो खाता है उसे ना बढ़ापा आता है ना बीमारी लगती है और ना वो मरता है।
साल में एक बार खानी है और शरीर स्थिर रहता है, जब मर जाने का मन करे तो जड़ी बूटी मत खाओ, बुढ़ापा आएगा, बीमारी लगेगी और मर जाओगे।
सैनिक ने जड़ी बूटी खाना शुरू कर दी।
वो जवान रहने लगा और 30-32 साल का लगता था।
उसकी पत्नी बूढ़ी होने लगी, उसने दूसरी शादि कर ली।
बच्चे बड़े हुए, बूढ़े होने लगे, उसकी दूसरी पत्नी भी बूढ़ी होने लगी तो उसने तीसरी शादि की।
इस तरफ से उसकी जनरेशन चलती गई, और वो शादि भी करता गया, हर पत्नी आए 2-3 बच्चे हो जाते थे।
60-70 साल बाद कोई पत्नी मरने लगी तो कोई बच्चा मरने लगा।
लेकिन उसकी इच्छा बहुत थी जीने की।
उसकी उम्र 600 साल के आसपास तक हो गई थी।
उसका परिवार बहुत फैल गया था।
एक बार वो हिमालय पर जड़ीबूटी खाने गया था।
वापस आया तो उसने देखा कि एक मैदान में 300-400 लाशें जलाई जा रही हैं।
उन मुर्दों के रिश्तदारों के चेहरे उसे जाने पहचाने लगे।
नजदीक गया तो देखा सब उसकी जनरेशन के लोग थे।
उसने पूछ कि क्या हुआ ?
तो उसको पता चला कि वो सब मुर्दे उसकी जनरेशन के लोग थे जो एक महामारी के कारण मर गए।
अपनी जनरेशन की 400 लाशें देखकर उसे एकदम से सदमा लग गया।
उसका दिमाग इतना कमजोर हो गया कि वो जड़ीबूटी तक भूल गया 
अगर वो अपनी मौत मर जाता तो शायद सदमे में ना मरता।
और भी कुछ उदाहरण अपने आसपास देखे जा सकते है।
कुछ इच्छाएँ जायज हैं, लेकिन कुछ नाजायज हैं।
इच्छा से ज्यादा जरूरत को महत्व दें।
भक्त प्रह्लाद ने भगवान ने माँगा था 
मेरी इच्छाएँ खत्म हो जाएं।


!! महादेव महादेव !!💐


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