शर्मसार मानवता (सच्ची घटना आधारित)


 


क्या हम आदमी कहलाने लायक हैं। इस सुंदर सी दीवार पर जो कालिख नजर आ रही है असल में वह कालिख सिर्फ दीवार पर नहीं है। बल्कि आज हर हमारे समाज के मुंह पर पुत गई है। 


हर आदमी खुद में गुनाहगार हो गया है।क्या यह देश और समाज भूखे भेड़ियों का है। जहां पर बच्ची महिला बुजुर्ग कोई भी सुरक्षित नहीं है। हर कोई सिर्फ हवस का शिकार हो रहा है। 


आखिर ऐसी कैसी हवस, कैसा पागलपन। क्या वाकई हम इंसान से ​दरिंदों में तब्दील होते जा रहे हैं। जरा अपने घरों के भीतर झांकिएगा। अगर किसी में भी इसका अंश भी दिख रहा है तो उसे टोकें...


समझाएं...उसे वापस इंसान बनाने के लिए मेहनत करें। नहीं तो...आज सिर्फ प्रियंका रेड्डी की हम बात कर रहे हैं, कल कोई दूसरी प्रियंका होगी। प्रियंका के साथ क्या हुआ, नहीं मालूम तो जान लीजिए...


तेलंगाना में पशु चिकित्सक प्रियंका रेड्डी की स्कूटी रात में पंचर हो गई थी। उन्होंने अपनी बहन को फोन किया कि उन्हें डर लग रहा है, बहन ने कहा कि वह वहां से निकल जाए।


कैब लेकर घर आ जाए! तभी प्रियंका को कुछ लोग उसकी तरफ आते दिखे तो उसने अपनी बहन को भरोसा दिया कि कुछ लोग करीब आ रहे हैं, शायद यह मदद करने आ रहे हैं। 


मगर उसके बाद सुबह प्रियंका की जली हुई लाश मिली। प्रियंका को सामूहिक बलात्कार के बाद पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। आज मानवता को चुल्लू भर पानी नहीं जो डूबने जाए। 


आखिर क्या हो गया है हमें और समाज को...जहां महज स्कूटी पंचर हो जाने पर एक लड़की डरती हैं। आखिर क्यों? क्या हम आदमी के भेष में भेड़िए हो गए हैं? क्या हम दरिंदे हो गए हैं...


पागल हो गए हैं। वहशी जिसे घरों से निकाल इलाज कराने की जरूरत है। वक्त मिले तो समय निकालकर सोचिए कि आखिर हम क्या हैं और क्या होते जा रहे हैं। 


हम उस हिंदुस्तान की संस्कृति से हैं, जहां पर नारियां अग्रिम पंक्ति में होती थीं। पर्दा प्रथा हमारी संस्कृति की देन नहीं है, बल्कि हमारे हवस ने ईश्वर की सबसे सुंदर रचना को पर्दे के पीछे छुपने को मजबूर कर दिया। 


हमारी संस्कृति कृष्ण की है, जो योगेश्वर एक साथ 16000 स्त्रियों से विवाह वासना के लिए नहीं करते हैं, उपेक्षित, तिरस्कृत और वासना की शिकार बनी स्त्रियों को सामाजिक सम्मान वापस दिलाने के लिए विवाह करते हैं। 


रावण एक स्त्री का हरण करता है, लेकिन उसकी मान्यताओं का पूरा आदर करता है। उसके सम्मान का क्षण—प्रतिक्षण ख्याल करता है। कृष्ण नहीं बन सकते हैं, मालूम है। 


रावण ही बनकर दिखा दीजिए। जो बहन के सम्मान के लिए ईश्वर को ललकारता है व एक स्त्री का सम्मान बंदीगृह में रखता है। देश और समाज इस अपराध के लिए पीड़िता से कैसे क्षमा मांग सकता है।


मुझमें तो प्रायश्चित करने का साहस भी कतई नहीं है। लेकिन मुझमें इस अपराध के खिलाफ खड़े होने का साहस है। आप भी सोचिए और इस दरिंदगी के खिलाफ खड़े होइए।


नोट: कृपया यहां मोदी शाह संघ राहुल उद्धव केजरीवाल केसीआर मत करना ।


फोटो कैप्शन— प्रियंका की जली हुई लाश के धुंए से काली हुई दीवार
अत्यंत दुख वेदना के साथ डॉ प्रियंका रेड्डी पर हुई दरिंदगी के साथ हुआ वह किसी भी घर की बेटी के साथ हो सकता है कितने लाचार और बेबस हो गए हैं हम सब कैसा समाज पनप रहा है हम सब के इर्द-गिर्द कितने ही कानून बने सख्ती हो इन विकृत प्रवृति को कोई डर नहीं क्योंकि यह जानते हैं कि इन्हें सजा नहीं होगी।
 दिल दहल गया है इस घटना से प्रियंका रेड्डी के साथ हुई शर्मनाक घटना के बारे में सुनकर अत्यंत दुखी हूं।
 इस घटना के विरोध में आज पूरा देश आक्रोशित है।
 दोषियों को सख्त सजा मिले मेरी गहरी संवेदनाएं पीड़ीत  परिवार के साथ है।


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