शिक्षा व्यवस्था

 


हाल ही में नीति आयोग ने स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स की रिपोर्ट को प्रकाशित किया है जिसमें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की शिक्षा गुणवत्ता को दर्शाया गया है वर्ष 2016 17 की रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग की इस रिपोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव को भलीभांति स्पष्ट किया है परंतु रिपोर्ट के अनुसार बड़े राज्यों की शिक्षा गुणवत्ता में आई कमी पर भी एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का निरीक्षण करने के लिए नीति आयोग द्वारा विद्यालय शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक को विकसित किया गया था जिससे शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्धारण के परिणामों को बेहतर बनाया जा सके तथा उसकी कमियों को दूर 
किया जा सके यह सूचकांक मानव संसाधन विकास मंत्रालय विश्व बैंक और क्षेत्र विशेषज्ञों की मदद से विकसित किया गया है


 प्रकाशित की गई रिपोर्ट के अनुसार 20 बड़े राज्यों में केरल ने 76.6% के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया है और वही उत्तर प्रदेश में 36.4% के साथ सबसे निचला स्थान प्राप्त किया छोटे राज्यों में मणिपुर 68 पॉइंट 8 परसेंट के साथ प्रथम वह 24 पॉइंट 6 परसेंट के साथ अरुणाचल प्रदेश अंतिम स्थान प्राप्त किया है केंद्र शासित प्रदेशों में 81 पॉइंट 9% के साथ चंडीगढ़ 3159 पर्सेंट के साथ अंतिम स्थान पर रहे आयोग द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता लाना सभी राज्यों व उनकी सरकारों का प्राथमिक कार्य है शिक्षा के क्षेत्र में वैसे तो केंद्र सरकार ने कई पहले की हैं जिसमें हाल ही में 3 जनवरी 2019 को केंद्र सरकार द्वारा संसद में शिक्षा के अधिकार कानून में संशोधन भी किया गया है जिसमें अब नो डिटेंशन पॉलिसी के रूप में जाना जा रहा है परंतु प्रश्न यह उठता है कि इन तमाम नीतियों के बनाए जाने या उनमें संशोधन कर देने से क्या शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिणाम देखने को मिलते हैं तो इसका स्पष्ट उत्तर हमें नीति आयोग की रिपोर्ट दे रही है जिसने 2015 16 तथा 2016 17 की तुलनात्मक पर प्रश्न खड़ा कर दिया है कि बड़े राज्य में शिक्षा की नीतियां सिर्फ पन्नों में सरकारी यो यो में ही सिमट कर रह जाती हैं


 शिक्षा देश के भविष्य का एक अहम स्तंभ है जिसे इतना मजबूत होना चाहिए किस देश का विकास एल चक अच्छी तरह चलता रहे प्रसिद्ध लेखक व्यक्तियों ने कहा है कि वह जो स्कूल के दरवाजे खोलता है जेल के दरवाजे बंद करता है देश के विकास का दारोमदार युवाओं के कंधों पर होता है अगर उनकी शिक्षा में गुणवत्ता ही ना हो तो देश की अर्थव्यवस्था राजनीतिक शक्ति सामाजिक समाज में नैतिक गुणों की क्षति होती है तथा देश एक समंदर में डूबते जहाज से कम ना होगा शिक्षा की गुणवत्ता में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं अगर शिक्षा नीति को सुधार करके उसमें जमीनी स्तर पर सख्ती से पालन किया जाए जिस तरह से बड़े राज्यों में केरल ने लगातार अपना प्रथम स्थान बनाया हुआ है उसे स्पष्ट होता है कि अकेला राज्य शिक्षा के प्रति काफी सजग और सख्त है केरल में शिक्षा का प्रतिशत 94% है तथा शिक्षा के प्रति जागरूकता होने के कारण लिंगानुपात भी प्रति हजार पुरुषों पर 1084 स्त्रियां हैं जो कि देश में सबसे ज्यादा है एक शिक्षित राज्य जब विकास करता है तो वहां की गरीबी बेरोजगारी तथा अन्य सामाजिक परेशानियां भी  स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं अगर हम बात करें उन्नति करते राज्यों की तो शिक्षा के प्रति जागरूकता अन्य राज्यों में भी बड़ी है जिसमें मुख्य था तमिलनाडु राजस्थान व हरियाणा इत्यादि मुख्य हैं



 उत्तर प्रदेश का निचले स्थान पर आना 36 पॉइंट 4 परसेंट के साथ एक चिंता का विषय है आज उत्तर प्रदेश कृषि व्यापार वाणिज्य सेवा के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर रहा है परंतु शिक्षा गुणवत्ता में गिरावट से स्पष्ट होता है कि नीति को अमल में शक्ति से लाना ही होगा पर साथ ही लोगों को जागरूक करना भी ज्यादा जरूरी है शिक्षा के क्षेत्र में योजनाओं का क्रियाना बंद होने के बाद भी लोग आज भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते या ज्यादा नहीं पढ़ाते बालिकाओं को सुविधा के प्रबल कराने पर भी लोग इन्हें ज्यादा पढ़ाना उचित नहीं समझते ऐसी नीति मानसिकता भी शिक्षा गुणवत्ता की कमी है गिरावट का मुख्य कारण है शिक्षा में सुधार के साथ-साथ लोगों को जागरूक करना भी एक जिम्मेदारी है जिससे भविष्य में जनसंख्या विस्फोटक गरीबी बेरोजगारी अपराध इत्यादि से बचा  जा  सकता है देश के भविष्य इन युवाओं को सही राह पर लाया जा सके जो देश के एक उज्जवल भविष्य में एक मील का पत्थर साबित हो सके


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