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Showing posts from December, 2019

गुरुजी का महत्वपूर्ण उपदेश (महत्वपूर्ण ज्ञान)

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*एक सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान* *एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि* *- आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है तो आप क्या करोगे ?* *युवक ने कहा - उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।* *गुरु जी ने पूछा - वह लडकी आगे बढ गयी तो क्या पीछे मुडकर भी देखोगे ?* *लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पडे)* *गुरु जी ने फिर पूछा - जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ?* *युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।* *गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए,* *आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना।* *आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए।* *उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं।* *घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जा

जब गंगा माता को जटा में बांध लिया भगवान शिव ने, (ज्ञानवर्धक कहानी)

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जब गंगा को जटा में बांध लिया भगवान शिव ने, पढ़ें कथा भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की ठानी। उन्होंने कठोर तपस्या आरम्भ की। गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुईं तथा स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं। पर उन्होंने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगीं तो पृथ्वी उनका वेग सहन नहीं कर पाएगी और रसातल में चली जाएगी। यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए। गंगा को यह अभिमान था कि कोई उसका वेग सहन नहीं कर सकता। तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ की उपासना शुरू कर दी। संसार के दुखों को हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपना सब मनोरथ उनसे कह दिया।   गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं गंगा का गर्व दूर करने के लिए शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उसे जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं।

राजा हरिश्चंद्र जी की कुछ विशेष बात (आत्मज्ञान कहानी)

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राजा हरिश्चंद्र एक बहुत बड़े दानवीर थे। उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे।            ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये राजा कैसे दानवीर हैं। ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है। ये बात जब तुलसीदासजी  तक पहुँची तो उन्होंने राजा को चार पंक्तियाँ लिख भेजीं जिसमें लिखा था ऐसी देनी देन जु                कित सीखे हो सेन ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ                 त्यों त्यों नीचे नैन।। इसका मतलब था कि राजा  तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो? जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूँ झुक जाते हैं? *राजा ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो राजा का कायल हो गया।*  *इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नहीं दिया।* *राजा ने जवाब में लिखा* - *देनहार कोई और है*                 *भेजत जो दिन रैन।* *लोग भरम हम पर करैं*                    *तासौं नीचे नैन।।* मतलब, देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है। परन्तु लोग ये समझते हैं

Bank Holidays 2020: जनवरी में 10 दिन बंद रहेंगे बैंक, यहां देखें 2020 में बैंको की छुट्टियों की पूरी लिस्ट यहां पढ़ें जनवरी 2020 में किस-किस दिन बंद रहेंगे बैंक - 1 जनवरी 2020 (बुधवार)- नए साल के पहले दिन शिलॉन्ग, गैंगटॉक, इम्फल, चेन्नई और एजवाल के बैंक बंद रहेंगे. - 2 जनवरी 2020 (गुरुवार)- नए साल के दूसरे दिन चंडीगढ़ और एजवाल के बैंकों में गुरु गोबिंद सिंह जयंती की छुट्टी रहेगी. - 7 जनवरी 2020 (मंगलवार)- 7 जनवरी को केवल इंफाल के बैंक बंद रहेंगे - 8 जनवरी 2020 (बुधवार)- 8 जनवरी को को भी केवल इंफाल के बैंकों की छुट्टी रहेगी - 14 जनवरी 2020 (मंगलवार)- मकर सक्रांती पर केवल अहमदाबाद के बैंक बंद रहेंगे - 15 जनवरी 2020 (बुधवार)- उत्तरायण मकर सक्रांति, पोंगल, माघ बीहू और तुसु पूजा पर बेंगलुरु, चेन्नई, गुवाहाटी और हैदराबाद के बैंक बंद रहेंगे. - 16 जनवरी 2020 (गुरुवार)- तिरुवल्लुवर दिवस पर चेन्नई के बैंकों की छुट्टी रहेगी. - 17 जनवरी 2020 (शुक्रवार)- उझावर थिरुनल पर भी चेन्नई के बैंक बंद रहेंगे. - 23 जनवरी 2020 (गुरुवार)- सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कोलकाता के बैंक बंद रहेंगे. - 30 जनवरी 2020 (गुरुवार)- वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर अग्रताला, भुवनेश्वर और कोलकाता के बैंकों की छुट्टी रहेगी. 2020 में राष्ट्रीय बैंक की छुट्टियों की पूरी सूची - 15 जनवरी 2020 (बुधवार)- पोंगल (दक्षिण राज्यों में) - 26 जनवरी 2020(रविवार)- गणतंत्र दिवस - 30 जनवरी 2020 (गुरुवार)- वसंत पंचमी - 21 फरवरी 2020 (शुक्रवार)- महाशिवरात्रि - 10 मार्च 2020 (मंगलवार)- होली - 25 मार्च 2020 (बुधवार)- गुड़ीपड़वा - 2 अप्रैल 2020 (गुरुवार)- राम नवमी - 6 अप्रैल 2020 (सोमवार)- महावीर जयंती - 10 अप्रैल 2020 (शुक्रवार)- गुड फ्राइडे - 14 अप्रैल 2020 (मंगलवार)- अंबेडकर जयंती - 1 मई 2020 (शुक्रवार)- मई दिवस - 7 मई 2020 (गुरुवार)- बुद्ध पूर्णिमा - 25 मई 2020 (सोमवार)- ईद अल-फितर - 31 जुलाई (शुक्रवार) या 1 अगस्त 2020 (शनिवार)- ईद-उल-अजहा, बकरीद - 3 अगस्त 2020 (सोमवार)- रक्षाबंधन - 11 अगस्त 2020 (मंगलवार)- कृष्ण जन्माष्टमी - 15 अगस्त 2020 (शनिवार)- स्वतंत्रता दिवस - 30 अगस्त 2020 (रविवार)- मुहर्रम - 2 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- गांधी जयंती - 26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- दशहरा - 30 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- ईद मिलाद-उन-नबी - 14 नवंबर 2020 (शनिवार)- दिवाली - 16 नवंबर 2020 (सोमवार)- भाईदूज - 30 नवंबर 2020 (सोमवार)- गुरु नानक जयंती - 25 दिसंबर 2020 (शनिवार)- क्रिसमस डे

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UPTET 2019: अब इस तारीख को होगी नई दिल्ली: UPTET 2019 Exam: उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2019 (UPTET Exam) परीक्षा 8 जनवरी 2020 (UPTET 2019 Exam Date) को आयोजित की जाएगी. सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया, "यूपीटीईटी परीक्षा 8 जनवरी को आयोजित की जाएगी. इसके संबंध में आधिकारिक नोटिस जल्द ही जारी कर दिया जाएगा.'' इससे पहले यह परीक्षा 22 दिसंबर को होनी थी लेकिन राज्य में नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन और उसके बाद इंटरनेट सेवा बंद किए जाने के चलते यह परीक्षा स्थगित कर दी गई थी. अब परीक्षा 8 जनवरी को होनी है और इसीलिए उच्च शिक्षा विभाग ने सभी डिग्री कॉलेजों को आदेश दिया है कि वे 8 जनवरी को सभी कॉलेजों की छुट्टी घोषित करें जिससे कि परीक्षा केंद्रों की कमी को पूरा किया जा सके.

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शीत ऋतु में पांच श्रेष्ठ "एंटी-एजिग"उपाय (महत्वपूर्ण बात)

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-:शीत ऋतू में पाँच श्रेष्ठ "एंटी-एजिंग" उपाय:- हेमंत-शिशिर ऋतू में वायु का प्रकोप होने से शरीर में रुक्षता(रूखापन) बढ़ती चली जाती है। यही रुक्षता शरीर को आयु से पहले बूढ़ा बना सकती है। इसी रुक्षता से शरीर में झुर्रियां पड़ती हैं,त्वचा ढीली हो जाती है,बेजान लगने लगती है,शरीर के समस्त जोड़ो(जॉइंट्स) में प्रवेश कर दर्द पैदा कर देती है-घुटने का दर्द,कमर दर्द,सरविकल,साइटिका समस्त दर्दों को बढ़ा कर जीवन की दुश्वारियां बढ़ा देती है। यही रुक्षता आंतो में पहुंचकर मल को रुक्ष बनाकर कब्ज पैदा कर देती है जिससे आगे चलकर बवासीर,भगंदर ,कैंसर जैसे गंभीर जानलेवा रोग पैदा हो जाते हैं। इसलिए आयुर्वेद अनुसार शीत ऋतू में वायु के बढे प्रकोप को कम करना ही "एंटी-एजिंग" है, और ये बेहद सरल है। पांच श्रेष्ठ एंटी-एजिंग समाधान आयुर्वेद अनुसार 1. शुद्ध गौ-घृत खाना- देवताओं को भी दुर्लभ,सिर्फ भारत में बनने वाला(दुनिया के किसी विकसित देश में नहीं बनता) गौ-घृत अपनी विशिष्ट स्निग्धता(चिकनाई) के कारण रूखी वायु के प्रकोप को शांत करने का सर्वश्रेष्ठ समाधान है।पृथ्वीलोक में बेस्ट एंटी एजिंग प्रॉपर्टीज,जो हमें

अदरक से करें 51 बीमारियों का इलाज

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-:अदरक से करे 51 बीमारियो का ईलाज।:- सामान्य परिचय : भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है।  इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है। गुण : अदरक में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है। वैज्ञानिकों के मतानुसार अदरक की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 12.4 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप में पाए जाते हैं। सोंठ में प्रोटीन, नाइट्रोजन, अमीनो एसिड

समूची धरती पर तुलसी जैसा कोई पौधा नहीं है(महत्वपूर्ण बातें)

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समूची धरती पर तुलसी जैसा कोई पौधा नहीं हैं.... “गाय को ढोर ना जानिए तुलसी ना जानिए पेड़” अर्थात गाय को केवल ढोर डंगर पशु नहीं समझना चाहिए और तुलसी को सिर्फ पेड़-पौधा समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। युगों से तुलसी का बिरवा भारत में हर आंगन और घर की शोभा यूं ही नहीं होता, बल्कि तुलसी के पौधे में एक कोस के घेरे तक जरासीम (बैक्टिरिया) नष्ट करने की शक्ति है, तो ऊपरी बाधाएं भी उस घर में नहीं आती जहां तुलसी का पौधा हो।  विज्ञान के अनुसार तुलसी धरती पर ओजोन गैस का एक मात्र स्रोत है, ओजोन गैस के कारण ही धरती का पानी वाष्प बनकर वायुमण्डल में नहीं समाता और सूर्य देव की घातक पराबैंगनी किरणें धरती तक नहीं पहुंचती।  यही नहीं तुलसी का नियमित सेवन हमारे रोग-प्रतिरोधी क्षमता (इम्यून सिस्टम) को बढ़ाता है और कैंसर जैसे भयंकर रोग को पनपने नहीं देता।  यजुर्वेद में तुलसी से अमृत, और स्वर्ण बनाने की विधि और उपयोग विधियां सूत्र रूप में दी गई है। इस समग्र जानकारी को हमारे ऋषिमुनी जानते थे, इसीलिए उन्होंने हर घर में तुलसी उगाने की विधी और पहल की थी, बाद में वैज्ञानिक आविष्कारों से भी तुलसी की महता जग जाहिर हुई है। 

जीवन के पांच सूत्र (महत्वपूर्ण बात)

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*आज हम आपको जीवन कें 5 सूत्र बताते है कृपया इन पर अमल करके इन्हे अपने जीवन मे धारण करने क़ा प्रयास कर .. *1. शिक्षा ...* शिक्षा वों शेरनी क़ा दूध है जो पिएगा वों दहाड़ेगा  और जो नहीं पिएगा वों जानवरो की तरह आवाज करेगा , इसलिए याद रखना आप कुछ भी करे , कैसे भी अपने बच्चो को पढ़ाए ।  अगर आप अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा नहीं डे सकते है तो याद रखना जिंदगी मे कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकते है ।  ... *2. संस्कार ..* चाहे जितनी अच्छी शिक्षा दिला देना , अगर बच्चो को अच्छे संस्कार आप नहीं देंगे तो ये बच्चे बुढ़ापे मे आपका सम्मान नहीं करेगे ।  और हम बहुत से परिवारो को देख चुके जिन्होने अपने बच्चो को बहुत पढ़ाया , तरह तरह की डिग्री दिला दी , लेकिन आज उन्हे बुढ़ापे मे सम्मान नहीं मिल रहा है ।  इसलिए मेरा अनुरोध है की शिक्षा कें साथ साथ आप अपने बच्चो को संस्कार भी दे ।  .... *3. संगति* चाहे जितनी अच्छी शिक्षा दिला देना , चाहे जितने अच्छे संस्कार दिला देना कुछ नहीं होने वाला है जब तक आप अपने बच्चो की संगति पर ध्यान नहीं देंगे ।  ये ध्यान रखना होंगा आपको , आपकी शिक्षा आपके संस्कार तभी आपके काम आएंगे , जब आ

साल की अंतिम एकादशी

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शिव का सच्चा भक्त कौन:-सोने की थाल (आत्मज्ञान कहानी)

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शिव का सच्चा भक्त कौन | एक शिव भक्त की कहानी..................सोने का थाल............ एक नगर में भगवान शिव का एक भव्य मंदिर था । जहाँ हर वर्ष दूर – दूर से भक्तजन शिवजी के दर्शन के लिए आते रहते थे । श्रावण का महिना था । दूर – दूर से कावड़िये कावड़ लेकर भगवान शिव को जलाभिषेक करने आये हुए थे । मंदिर का परिसर भक्तों की भीड़ से भरा हुआ था । तभी अचानक आकाश में बिजलियाँ हुई और सोने का एक थाल उतरा । उसी के साथ एक भविष्यवाणी हुई कि “जो कोई भगवान शंकर का सच्चा भक्त और प्रेमी होगा उसी को यह थाल मिलेगा । मंदिर के परिसर में उपस्थित सभी लोगों ने यह भविष्यवाणी सुनी । धीरे – धीरे सभी इकट्ठे हो गये । जो लोग मंदिर की व्यवस्था देखते थे, उन्हें तो पूरा विश्वास था कि यह थाल हमें मिलेगा । इसलिए वे सबसे आगे जाकर खड़े हो गये । सबसे पहले एक पंडितजी आये और बोले – “ देखिये ! मैं प्रतिदिन महादेव का अभिषेक करता हूँ, अतः मैं ही भोलेनाथ का सबसे निकटवर्ती प्रेमी और भक्त हूँ । इसलिए थाल मुझे मिलना चाहिए ।” इतना कहकर पंडितजी ने थाल उठाया । जैसे ही पंडितजी ने थाल उठाया, थाल पीतल का हो गया । यह देखकर पंडितजी बड़े लज्जित हुए ।

गगन मंच के संपादक:-ईश्वरी दयाल शर्मा जी ने दी बधाई

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भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा से  उत्तर प्रदेश अध्यक्ष युवा नेता सतेंद्र नागर ने गुलदस्ता देकर सम्मानित किया इसके लिए बहुत बहुत नागर जी का धन्यवाद

आज हम आपको भगवान शिव की वेशभूषा के 15 रहस्य के बारे में बताएंगे (ज्ञानवर्धक बातें)

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आज हम आपको भगवान शिव की वेशभूषा के पंद्रह रहस्यों के बारे में बतायेंगे!!!!!!      आपने भगवान शंकर का चित्र या मूर्ति देखी होगी। शिव की जटाएं हैं। उन जटाओं में एक चन्द्र चिह्न होता है। उनके मस्तक पर तीसरी आंख है। वे गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं।  उनके एक हाथ में डमरू, तो दूसरे में त्रिशूल है। वे संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं। उनके शरीर के निचले हिस्से को वे व्याघ्र चर्म से लपेटे रहते हैं। वे वृषभ की सवारी करते हैं और कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाए बैठे रहते हैं। कभी आपने सोचा कि इन सब शिव प्रतीकों के ‍पीछे का रहस्य क्या है? शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। आओ जानते हैं शिव प्रतीकों के रहस्य...   चन्द्रमा :शिव का एक नाम 'सोम' भी है। सोम का अर्थ चन्द्र होता है। उनका दिन सोमवार है। चन्द्रमा मन का कारक है। शिव द्वारा चन्द्रमा को धारण करना मन के नियंत्रण का भी प्रतीक है। हिमालय पर्वत और समुद्र से चन्द्रमा का सीधा संबंध है। चन्द्र कला का महत्व :मूलत: शिव के सभी त्योहार और पर्व चान्द्रमास पर ही आधारित होते हैं। शिवरात्रि,

वैष्णो माता की कृपा

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फिरोजाबाद के पुलिस कांस्टेबल वीरेंद्र कुमार पर CAA का विरोध करने वाले दंगाइयों ने सीने पर गोली मारी... मगर " जाँको राखे सांइयाँ मार सके न कोय "...                 गोली सीने पर सटीक लगी मगर जैकेट के नीचे बटुआ था... बताया जाता है कि बटुए में एक माँ वैष्णो देवी वाला सिक्का था... गोली उक्त सिक्के पर जा कर लगी ! गोली सीने तक न पहुंच सकी... माँ वैष्णों के सिक्के ने बहादुर पुलिस कांस्टेबिल  के प्राणों की रक्षा की ..

खोड़ा कॉलोनी गाजियाबाद में आदरणीय विधायक सुनील शर्मा जी का मार्गदर्शन

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आज हयात नगर खोड़ा कॉलोनी गाजियाबाद मैं आदरणीय विधायक सुनील शर्मा जी का मार्गदर्शन प्राप्त किया आदरणीय विधायक जी ने सभी क्षेत्रवासियों को संबोधित करते हुए कहा  CAAऔर NRC राष्ट्रहित में किया गया है अमित शाह जी मोदी जी को  धन्यवाद  दिया और क्षेत्रवासियों को कहा कि कोई अफवाहों में ना पड़े ।

सुदामा जी को गरीबी क्यों मिली (आत्मज्ञान कहानी)

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सुदामा जी को गरीबी क्यों मिली अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे। जितना धन उनके पास था किसी के पास नहीं था । लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे । आखिर क्यों  एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी। भिच्छा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नहीं मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिच्छा में दो मुट्ठी चना मिले । कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नहीं खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी । यह सोंचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिया। और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी । देखिये समय का खेल कहते हैं पुरुष बली नहीं होत है समय होत बलवान ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया में आ गये। इधर उधर बहुत ढूँढा चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी चोरों ने समझा कि इसमें सोने के सिक्के हैं इतने में ब्राह्मणी जग गयी और शोर मचाने लगी । गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे। चोर वह पुटकी ले

विपुल सिंह ने दिया करंट क्राइम न्यूज़ संपादक दीपक भाटिया को बधाई

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गाजियाबाद दैनिक समाचार पत्र     करंट क्राइम न्यूज संम्पादक दीपक भाटी जी को  करंट क्राइम की 5वें स्थापना दिवस पर         गोविंदपुरम गाजियाबाद में बधाई देते हुए।।।

अन्न का आदर (ज्ञानवर्धक कहानी)

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. - एक रिश्तेदार की शादी की पार्टी में सोनू अपने परिवार के साथ पहुंचा। वहाँ जाकर उसने देखा कि खाना शुरू हाे चुका था। जाते ही उसने एक प्लेट में पनीर की सब्जी, खूब सारे चावल, दही-भल्ले, पापड़, अचार, सलाद अादि सजा लिए।  अपनी खाने से लबालब प्लेट काे लेकर सोनू एक साईड में चला गया। खाना शुरू ही किया था कि दाे चम्मच चावल खाते ही सोनू काे लगा कि खाने में नमक ज़्यादा है। सोनू ने साेचा कि मैं ये खाना खाकर पेट क्यों भर रहा हूँ, ये ताे राेज़ घर पर खाता हूँ। ... मुझे ताे रसगुल्ले, गुलाब जामुन, आइसक्रीम, इत्यादि खाने चाहिए।  . बस फिर क्या था, सोनू खाने से भरी प्लेट चुपचाप रखने की जगह ढूँढने लगा। एक जगह से टैंट खुला हुआ था। सोनू ने नज़रें बचाकर टैंट से बाहर जाकर वह प्लेट रख दी आैर चुपचाप टैंट के अन्दर आ गया।  . किसी काे कुछ ना पता चलता देख सोनू खुश हाे गया आैर गुलाब जामुन लेने चला गया।  गुलाब जामुन लेकर सोनू उसी जगह आ गया जहाँ वाे पहले खड़ा हाेकर खाना खा रहा था। गुलाब जामुन बड़े आनन्द से खाकर वो खाली प्लेट उसी जगह फेंकने गया जहाँ उसने खाने से भरी प्लेट रखी थी, पर जैसे ही सोनू प्लेट फेंकने गया, वहाँ क

भगवान की कृपा (आत्मज्ञान कहानी )

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एक आदमी गाड़ी से उतरा, और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट मे घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कांफ्रेंस मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित की जा रही थी। वह अपनी सीट पर बैठा और जहाज़ उड़ गया। अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था कि कैप्टन ने ऐलान किया , तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज़ का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नही कर रहा इसलिए हम क़रीबी एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर हैं। जहाज़ उतरा वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि उसका एक-एक मिनट क़ीमती है और होने वाली कांफ्रेस मे उसका पहुँचना बहुत ज़रूरी है। पास खड़े दूसरे मुसाफिर ने उसे पहचान लिया और बोला डॉक्टर पटनायक आप जहां पहुंचना चाहते हैं टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं उसने शुक्रिया अदा किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा। लेकिन ये क्या आंधी, तूफान, बिजली, बारिश ने गाड़ी का चलना मुश्किल कर दिया, फिर भी ड्राइवर चलता रहा। अचानक ड्राइवर को एह़सास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है। ना उम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा। इस तूफान मे वही ग़नीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया। आवाज़ आई जो कोई भी है अंदर आ जाए दर

भगवान शिव हैं, भक्तों के लिए भोले और दोस्तों के लिए भाले (आत्मज्ञान कहानी)

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भगवान शिव हैं,भक्तों के लिए भोले और दुष्टों के लिए भाले है शिव............................  संसार में भगवान की भक्ति सुख और शान्ति प्राप्त करने का अमोघ साधन है । इससे उत्तम साधन और कोई नहीं है क्योंकि भक्त को ईश्वर का आश्रय रहता है और भगवान को भक्त की चिन्ता रहती है । भगवान को अपने भक्त अत्यन्त प्रिय हैं । वे कहते हैं—'मैं सर्वथा भक्तों के अधीन हूँ । मुझमें तनिक भी स्वतन्त्रता नहीं है । मेरे सीधे-सादे सरल भक्तों ने मेरे हृदय को अपने हाथ में कर रखा है । भक्तजन मुझसे प्यार करते हैं और मैं उनसे ।' इसलिए सच्चे भक्त थोड़े में ही बाजी मार लेते हैं ।  'सत्यं शिवं सुन्दरं' के प्रतीक भगवान शिव भक्तों के लिए 'भोले' और दुष्टों के लिए 'भाले' के समान हैं । भोले-भण्डारी भगवान शंकर इतने दयालु हैं कि अपने भक्तों के कल्याण के लिए कभी नौकर बन जाते हैं तो कभी भिखारी का वेश धारण करने में भी जरा-सा संकोच नहीं करते हैं । भगवान भोलेनाथ के भक्त-प्रेम को दर्शाने वाली एक सुन्दर कथा इस प्रकार है— प्राचीन काल में दक्षिण भारत के मीनाक्षीपुरम के राजा के दरबार में सोमदत्त नामक एक अत्य

साल में 13 महीने (मजेदार चुटकुला)

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नागरिकता संशोधन अधिनियम

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दे आओ मिलकर देश जलाएं।( हरीश जी की कविता)

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वह

तुलसी के फायदे (घरेलू नुक्सा)

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प्रसिद्ध कवि हृदय नाग:-

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-:प्रशीद्ध कवि हृदय नाग:-  जाने दिजिए.. क्या करेंगे नाम जानकर....गूगल पर सर्च करेंगे तो धोखा खा जाएंगे....ये शख्स ना कन्हैया वाली नौटंकी जानता है...ना रोहित वेमुला की तरह बुजदिल है....ना धूर्तवाल की तरह  सादगी की नुमाइश....ऐसे लो यह यक्षगों को चैनल वाले क्यों दिखाएंगे...क्यों बताएंगे...क्यों सुनाएंगे इनके बारे में...कोई घोड़े की टांग थोड़े ना टूटी है...ना किसी हीरोइन के बदन से तौलिया फिसला है....ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग । जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन 'हलधर ग्रन्थावली-2' को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं। ऐसे हीरे को चैनलवालों ने नहीं, मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के  निकाला है... हलधर नाग : ढाबा में जूठन धोने से लेकर पद्मश्री तक.! ************************** उड़‍िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जब आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे। हलधर एक ग

एक कहानी अपने अनुभव की(प्रेरणादायक कहानी)

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-:एक कहानी अपने अनुभव की:- एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे अपने शहर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे ।जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी ।  यह देख वह बहुत दुखी हुआ ।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई ।मित्र ने कहा कि एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की रीति समझ गया । "कमी निकालना , बुराई करना , स्वयं को ही सब कुछ समझना बहुत आसान है लेकिन उसी विषय पर कुछ करके दिखाना बहुत मुश्किल हो जाता है !!

गाय आवारा नहीं बल्कि मनुष्य आवारा है: राजेंद्र दास

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गोवर्धन सुर साधना स्थली गांव परासौली स्थित तीन दिवसीय गो.गोपाल मिलन महोत्सव का समापन संत विद्वत सम्मेलन, हवन यज्ञ एवं भंडारे के साथ हुआ महोत्सव में मलूक पीठाधीश्वर संत राजेन्द्र दास महाराज ने कहा कि शासन और समाज दोनों को मिलकर निराश्रित गोवंश के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। गाय को आवारा कहना अपराध है। गाय तो माता का स्वरूप है। पुत्र आवारा होते हैं तो बेचारी माता परेशान रहती है। गाय को आश्रय नहीं दे पा रहे हैं। उसकी सेवा नहीं की जा रही है। आवारा गाय नहीं बल्कि आवारा मनुष्य है। गो.गोपाल से पूज्य ठाकुर दास बाबास्वयं जाकर मिल गये हैं। उसकी प्रेरणा से ही गाय की रक्षा के अनेकों प्रकल्प चलाये जा रहे हैं। इस अवसर पर उपजिलाधिकारी गोवर्धन राहुल यादव, नायब तहसीलदार सतीश बघेल, संत राघवेन्द्र दास, माधव दास कौशिक, कृष्णा शर्मा आदि थे।

अंतिम विदाई

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आर्य समाज के पुरोधा संन्यासी स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज (पुराना नाम मास्टर रायसिंह) का  उनके पैतृक गांव घौघडि़यां में मंत्रोच्चारण के साथ पंचतत्व में विलीन।  मुखाग्नि उनके बेटे सज्जन कुमार ने दी। इस अवसर पर स्वामी रामवेश जी महाराज, स्वामी धर्म देव जी महाराज, प्राचार्य अजित गौतम, देवेन्द्र आर्य,दलशेर लोहान,बिजेंद्र आर्य, प्राचार्य जगफूल ढिल्लों, रघुबीर बुरा, बीरेंद्र बुरा,सैकड़ों आर्यजन, प्रबुद्ध समाज सेवी व समस्त ग्रामवासियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

उर्मिला का सच्चा प्रेम, त्याग और समर्पण (आत्मज्ञान कहानी)

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उर्मिला का सच्चा प्रेम,त्याग और समर्पण भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया। परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की परन्तु जब पत्नी उर्मिला के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी, परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा क्या कहूंगा यदि बिना बताए जाऊंगा तो रो रोके जान दे देगी और यदि बताया तो साथ जाने की ज़िद्द करने लगेगी और कहेगी कि यदि सीता जी अपने पति के साथ जा सकती हैं तो मैं क्यों नहीं यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं- "आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु की सेवा में वन को जाओ। मैं आपको नहीं रोकुंगीं। मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।" लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था। परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया। वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है। पति

बेटी हीरा, बेटा लोहा है:- (आत्मज्ञान कहानी)

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-:बेटी हीरा,बेटा लोहा है:- एक दिन की बात है।  संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई। चेहरे पर झलकता आक्रोश... संत ने पूछा - बोलो बेटी क्या बात है? बालिका ने कहा- महाराज हमारे समाज में लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती। इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ आदि। संत मुस्कुराए और कहा... बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं? ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहते हैं। इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता और इनकी कीमत पर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता। लड़कों के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में। अब तुम चलो एक ज्वेलरी शॉप में। एक बड़ी तिजोरी, उसमें एक छोटी तिजोरी। उसमें रखी छोटी सुन्दर सी डिब्बी में रेशम पर नज़ाकत से रखा चमचमाता हीरा। क्योंकि जौहरी जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी। समाज में बेटियों की अहमियत भी कुछ इसी प्रकार की है। पूरे घर को रोशन करती झिलमिलाते हीरे की तरह। जरा सी खरोंच से उसके और उसके पर

खोड़ा रेजीमेंट्स एसोसिएशन की बैठक

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आज  खोड़ा रेजिडेंट्स एसोसिएशन की बैठक  सरस्वती विहार मे आयोजित की गई है! जिसमे महिलाओ की प्रमुख भागीदारी रही!  महिलाओं ने एक स्वर में किया KRA  के कार्य को समर्थन!  खोड़ा रेजिडेंस एसोसिएशन ने करी नगर पालिका से मांग जल्द हो खोड़ा के अंदर शुद्ध पानी की व्यवस्था

गौ सेवा की मीटिंग

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आज दिनाक 21 दिसंबर 2019 को अम्बाला शहर मानव चौक स्तिथ *श्री कृशन कृपा मंदिर* मे *गऊ सेवा की मीटिंग* रखी गई। जिसमे सेकड़ो की संख्या में लोग मौजुद रहे और *आल इंडिया के गौ रक्षा दल के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री सतीश कुमार जी* को *श्री कृष्णा गऊ सेवा सोसाइटी के प्रधान मोनू चावला व उनकी टीम* ने समानित किया। *श्री कृष्णा गऊ सेवा सोसाइटी के प्रधान मोनू चावला व उनकी टीम को गऊ रक्षा दल* मे शामिल किया। और कहा कि आप *पूरे इंडिया* में *गऊ रक्षा व गऊ सेवा* का काम कर सकते है और ये भी कहा कि आप को आने वाले कुछ दिनो में * गौ रक्षा दल में उच्च पद से सम्मानित किया जायेगा।यह सारी टीम गौ रक्षा दल हरियाणा अधियक्ष आचार्य योगेंद्र जी के नेतृत्व में काम करेगी व इस मीटिंग में *गऊ माता के लिये सुबह की पहली रोटी गऊ माता के लिये बनाने का संकलप लिया।* व  युवाओं को गऊ सेवा के लिये प्रेरित किया इस मौके पर ऑल इंडिया के गऊ रक्षा दल के प्रधान श्री सतीश कुमार जी, प्रधान मोनू चावला जी, मंजीत बावा, राहुल छाबा, सागर, सोनू, अनुभव कौशिक, सोनू सेठी, रिन्कू चावला, मनु, सनी टक्कर, कनु, शुभम, रिशी, लाडी, जन्टी, कलु माजरा से सरपंच व स

जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार

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जल शक्ति मंत्रालय ,भारत सरकार तथा SARKARITEL.COM द्वारा   कांस्टियूशन क्लब दिल्ली में आयोजित जल प्रहरी सम्मान में बुन्देलखण्ड के श्याम बिहारी गुप्त, संस्थापक-किसान समृद्धि विद्यापीठ, अम्बाबाय, झांसी को सम्मानित करते माननीय रामलाल जी, सह सम्पर्क प्रमुख-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,माननीय गजेन्द्र सिंह शेखावत -जल शक्ति मंत्री,माननीय मनोज तिवारी-सांसद, श्री यू.पी.सिंह  सचिव-जल शक्ति मंत्रालय,जलपुरुष श्री राजेन्द्र सिंह जी, आयोजक श्री अमेय साठे

रावण - पुत्र 'अक्षय कुमार'का वध नहीं करना चाहते थे हनुमान जी क्यों (आत्मज्ञान कहानी)

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रावण-पुत्र 'अक्षय कुमार' का वध नहीं करना चाहते थे हनुमान जी क्यों श्रीराम का जीवन, माता सीता के साथ उनका स्नेह, दानव राजा रावण का अंत यह सभी प्रसंग हमने बखूबी गंभीरता से पढ़े होंगे लेकिन एक प्रसंग ऐसा है जिसे जान आप भी दंग रह जाएंगे। यह है रामायण में वर्णित लंकापति रावण के सबसे छोटे पुत्र 'अक्षय कुमार का वध'। अक्षय कुमार लंका नरेश रावण की सबसे छोटी संतान थी, परन्तु इसके बावजूद उसमें कई देवताओं के समान शक्तियां थी। ऐसा माना जाता है कि उसकी वीरता देवों के समान थी। रावण की सेना में सबसे बलवान योद्धाओं में से एक था अक्षय कुमार। वन में रावण द्वारा माता सीता का हरण करने के पश्चात जब श्रीराम को यह मालूम हुआ कि उनकी पत्नी लंका नरेश रावण की कैद में है तो उन्होंने मां सीता को वापस पाने का निर्णय लिया। लेकिन वे किसी भी निर्णय पर आने से पहले चाहते थे कि उनकी ओर से कोई महारथी उनका संदेश लेकर रावण के पास जाए, लेकिन कौन जाता? उनकी आंखों के सामने एक विशाल समुद्र था जिसे बिना किसी माध्यम के पार कर सकना असंभव था। ऐसे में कौन था जिसके पास समुद्र को लांघकर दूसरी ओर लंका जाने की क्षमता थी। व

किसमस डे के उपलक्ष में बनाई गई (ड्राइंग)

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क्रिसमस डे की उपलक्ष में नैंसी सिंह ने प्यारी सी मनाई क्रिसमस डे की ड्राइंग जिसमें सैंटा क्लॉस बच्चों को गिफ्ट बांटते नजर आ रहा है।

साढ़े तीन मिनट (महत्वपूर्ण जानकारी)

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साढ़े तीन मिनिट      मैं एक डाक्टर हूँ, मे यह कह रहा हूँ कि इस भीषण ठंड में जिनकी आयु 45 वर्ष से अधिक है, उन्हें रात में 10 बजे सोने के बाद से जब भी बिस्तर से उठे, तब आप एकदम से ना उठे। क्योँकि ठंड के कारण शरीर का ब्लड गाढ़ा हो जाता है तो वह धीरे धीरे कार्य करने के कारण पूरी तरह हार्ट में नहीं पहुँच पाता और शरीर छूट जाता है। इसी कारण से शर्दी के महीनों में 45 वर्ष से ऊपर के लोगों की ह्रदयगति रुकने से दुर्घटनाए अत्यधिक होती पाई गई हैं, इसलिए हमें सावधानी अत्यधिक बरतने की आवश्यकता है। यही सुझाव में भी देता हु।* *साढ़े तीन मिनिट:  मेरी  सलाह!*        डॉ. विजय सिंह राजपूत            जनरल फिजीशियन            *जिन्हें सुबह या रात में सोते समय  पेशाब करने जाना पड़ता हैं उनके लिए विशेष सूचना!!*         हर एक व्यक्ति को इसी साढ़े तीन मिनिट में सावधानी बरतनी चाहिए। *यह इतना महत्व पूर्ण क्यों है?*         यही साढ़े तीन मिनिट अकस्माक होने वाली मौतों की संख्या कम कर सकते हैं।         जब जब ऐसी घटना हुई हैं, परिणाम स्वरूप तंदुरुस्त व्यक्ति भी रात में ही मृत पाया गया हैं।         ऐसे लोगों के बारे में हम

मांगो मत दो, ऊपर वाले को अपने हिसाब से देने दो (मजेदार कहानी)

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मांगो मत, ऊपर वाले को अपने हिसाब से देने दो किसी राज्य में एक राजा रहता था। राजा अक्सर गांव-गांव जाकर प्रजा और लोगों की समस्याओं को सुनता था और उनमें सुधार की पूरी कोशिश करता था। उसकी कर्तव्यनिष्ठा के चर्चे दूर देशों तक फैले हुए थे।   ऐसे ही एक बार राजा किसी गांव में प्रजा की समस्याओं को जानने के लिए भ्रमण पर निकले हुए थे। उसी दौरान राजा के कुर्ते का एक बटन टूट गया। राजा ने तुरंत मंत्री को बुलाया और आदेश दिया कि जाओ, इस गांव में से ही किसी अच्छे से दर्जी को बुला लाओ, जो मेरे कुर्ते का बटन लगा दे। तुरंत पूरे गांव में अच्छे दर्जी की खोज शुरू हो गई। संयोग से उस गांव में एक ही दर्जी था जिसकी गांव में ही एक छोटी सी दुकान थी। दर्जी को राजा के पास लाया गया।   राजा के कहा- मेरे कुर्ते का बटन सील सकते हो?   दर्जी के कहा- जी हुजूर, ये कौन सा मुश्किल काम है? दर्जी ने तुरंत अपने थैले से धागा निकाला और राजा के कुर्ते का बटन लगा दिया।   राजा ने खुश होकर दर्जी से कहा- बताओ, तुम्हें इस काम के कितने पैसे दूं?   दर्जी ने कहा- महाराज ये तो बहुत ही छोटा सा काम था, इसके मैं आपसे पैसे नहीं ले सकता।   राजा न

कैसे लोगों पर आप भरोसा करें (मजेदार कहानी)

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एक गुरु और उनके सभी शिष्य एक आश्रम में रहते थे। इस वर्ष सभी शिष्यों की शिक्षा पूरी हो चुकी थी और उनका आश्रम में आखरी दिन था। जब सारे शिष्य एक जगह इकट्ठा हो गए तब आश्रम की परंपरा के अनुसार, गुरुजी अपने शिष्यों को आखरी उपदेश और सीख देने आए। वे अपने हाथों में लकड़ी के तीन गुड्डे लेकर वहां आए और शिष्यों को गुड्डे दिखाते हुए बोले, मेरे हाथ में ये जो तीन खिलौने हैं, आप सभी को इनमें अंतर खोजना है। गुरुजी की आज्ञा से सारे शिष्य बड़े ध्यान से तीनों गुड्डों में अंतर ढूंढने लगे| तीनों ही गुड्डे दिखने में लगभग एक जैसे थे और उनमें अंतर खोजना शिष्यों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था।     तभी एक शिष्य को एक गुड्डे में कुछ फर्क दिखा और वो बोला, अरे ये देखो इस पहले गुड्डे के दोनों कानों में छेद है। इसके बाद सभी शिष्य को इतना समझ आ गया कि ऐसे ही कोई छोटे-मोटे अंतर ही होंगे, सभी ने अब उसी दिशा में परखना शुरु किया।     एक दूसरे शिष्य ने कहा, अरे देखो, इस दूसरे गुड्डे के मुंह में छेद है और तभी एक और शिष्य ने कहा, इस तीसरे गुड्डे के सिर्फ एक ही कान में छेद है। काफी समय बीत गया लेकिन इन तीनों फर्क के बाद और कोई अं

ठंड के मौसम में तिल जरूरत है (बेहतरीन फायदे)

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ठंड के मौसम में तिल जरूर खाएं, जानिए 7 बेहतरीन फायदे ठंड के मौसम में तिल के बने पकवान अधिकतर लोगों के घर में बनाए जाते है या बाजार से खरीद कर लाए जाते है, जैसे तिल की गजक व पट्टी आदि। दरअसल सर्दियों के मौसम में तिल को किसी भी रूप में खाने से सेहत को फायदा होता है, वहीं त्वचा पर भी इसका अच्छा प्रभाव होता है।   आइए, जानते हैं ठंड के मौसम में तिल का सेवन करने के बेहतरीन फायदे -    1. तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो शरीर से कोलेस्ट्रोल को कम करता है।   2. तिल खाना दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है।   3. तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।   4. तिल में कुछ ऐसे तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं।   5. तिल में कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम जैसे तत्व होते हैं, जो हृदय की मांसपेशि‍यों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं।   6. तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों की हड्डियों के विकास में सहायक होता है।   7. तिल का तेल त्वचा के लि

एक बार की बात है कि एक व्यापारी था (मजेदार कहानी)

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एक बार कि बात है एक व्यापारी था, उसके पास तीन ऊँट थे जिन्हें लेकर वो शहर-शहर घूमता और कारोबार करता था। एक बार कही जाते हुए रात हो गयी तो उसने सोचा आराम करने के लिए मैं इस सराय में रुक जाता हूं और सराय के बाहर ही अपने ऊँटो ने को बांध देता हूं, व्यापारी अपने ऊँटो को बांधने लगा। दो ऊँटो को उसने बांध दिया लेकिन जब तीसरे ऊँट को बांधने लगा तो उसकी रस्सी खत्म हो गई। तभी उधर से एक फकीर निकल रहे थे उन्होंने व्यापारी को परेशान देखा तो उससे पूछा: क्या हुआ? परेशान देख रहे हो? मुझे बताओ क्या परेशानी है शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकु!   व्यापारी ने कहा: हा बाबा, मैं पूरा दिन घूमते हुए थक गया हूं। अब मुझे सराय के अंदर जाकर आराम करना है लेकिन इस तीसरें ऊँट को बांधने के लिए मेरी रस्सी कम पड़ गयी है।     फ़कीर ने जब व्यापारी की समस्या सुनी तो वह बड़े जोर जोर से हंसने लगा और उसने व्यापारी को कहा: इस तीसरे ऊँट को भी ठीक उसी तरह से बांध दो जैसे तुमने बाकि 2 ऊँटो को बांधा है।   फकीर की यह बात सुनकर व्यापारी थोड़ा हैरान हुआ और बोला लेकिन रस्सी ही तो खत्म हो गई है। इस पर फ़कीर ने कहा: हां तो मैने कब कहा कि इसे र

एक गांव में एक किसान रहता था (मजेदार कहानी)

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एक गांव में एक किसान रहता था, उसे जानवरों से बहुत प्यार था इसलिए उसने अपने घर में बहुत सारी गाय और भैंस पाल रखी थीं। उन्हीं का दूध बेचकर वह अपना जीवन यापन करता था। एक बार किसान ने एक कुत्ते और खरगोश को भी पाल लिया। कुछ दिन बाद उसके मन में इन दोनों के साथ खेलने का विचार आया। इस विचार से वह दोनों को एक खेत पर लेकर गया और उसने खेत में बहुत सारे छेद कर दिए। उन्हीं में से किसी एक छेद में 'हड्डी और गाजर' छिपा दी।   अब उसने कुत्ते और खरगोश को बुलाकर कहा कि तुम में से जो भी पहले 'हड्डी और गाजर' ढूंढ कर लाएगा, उसे मैं इनाम दुंगा। खरगोश बहुत ही आशावादी था, उसे पूरी उम्मीद थी कि वह 'हड्डी और गाजर' को ढूंढ ही निकलेगा। वहीं कुत्ता बहुत ही निराशावादी था, वह मन ही मन सोच रहा था कि यह क्या मजाक है? इतने बड़े खेत में भला कोई 'हड्डी और गाजर' कैसे ढूंढ सकता है? यही सोचकर कुत्ता खेत में बने एक बड़े से गड्ढे के पास बैठ गया।   वहीँ खरगोश पूरे जोश के साथ खेत में गाजर ढूंढने में लग गया। उसने एक-एक कर सारे छेद देखे लिए लेकिन उसे 'हड्डी और गाजर' कही नहीं मिले। फिर उसने कुत्

जिंदगी के पत्थर, कंकड़ और रेत (महत्वपूर्ण बात)

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   ज़िन्दगी के पत्थर, कंकड़ और रेत Philosophy के एक professor ने कुछ चीजों के साथ class में प्रवेश किया. जब class शुरू हुई तो उन्होंने एक बड़ा सा खाली शीशे का जार लिया और उसमे पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े भरने लगे. फिर उन्होंने students से पूछा कि क्या जार भर गया है ? और सभी ने कहा “हाँ”. jindagi-ke-kankad-pathar-aur-ret तब प्रोफ़ेसर ने छोटे-छोटे कंकडों से भरा एक box लिया और उन्हें जार में भरने लगे. जार को थोडा हिलाने पर ये कंकड़ पत्थरों के बीच settle हो गए. एक बार फिर उन्होंने छात्रों से पूछा कि क्या जार भर गया है?  और सभी ने हाँ में उत्तर दिया.   तभी professor ने एक sand box निकाला और उसमे भरी रेत को जार में डालने लगे. रेत ने बची-खुची जगह भी भर दी. और एक बार फिर उन्होंने पूछा कि क्या जार भर गया है? और सभी ने एक साथ उत्तर दिया , ” हाँ” फिर professor ने समझाना शुरू किया, ” मैं चाहता हूँ कि आप इस बात को समझें कि ये जार आपकी life को represent करता है. बड़े-बड़े पत्थर आपके जीवन की ज़रूरी चीजें हैं- आपकी family,आपका partner,आपकी health, आपके बच्चे – ऐसी चीजें कि अगर आपकी बाकी सारी चीजें खो भी

नाग और चीटियां (मजेदार कहानी)

  एक घने जंगल में एक बड़ा-सा नाग रहता था। चिड़ियों के अंडे, मेढ़क तथा छिपकलियों जैसे छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को खाकर अपना पेट भरता था। रातभर वह अपने भोजन की तलाश में रहता और दिन निकलने पर अपने बिल में जाकर सो रहता। धीरे-धीरे वह मोटा होता गया, हालत यह हो गई कि वह इतना मोटा हो गया कि बिल के अंदर-बाहर आना-जाना भी दूभर हो गया। आखिरकार, उसने बिल को छोड़कर एक विशाल पेड़ के नीचे रहने की सोची। लेकिन वहीं पेड़ की जड़ में चींटियों की बांबी थी और उनके साथ का रहना नाग के लिए असंभव था। सो, वह नाग उन चींटियों की बांबी के निकट जाकर बोला, ''मैं सर्पराज नाग हूं, इस जंगल का राजा। मैं तुम चींटियों को आदेश देता हूं कि यह जगह छोड़कर चले जाओ।'' वहां और भी जानवर थे, जो उस भयानक सांप को देखकर डर गए और जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। लेकिन चींटियों ने नाग की इस धमकी पर कोई ध्यान न दिया। वे पहले की तरह अपने काम-काज में जुटी रहीं। नाग ने यह देखा तो उसके क्रोध का पारावार न रहा। वह गुस्से में भरकर बांबी के निकट जा पहुंचा। यह देखा हजार-हजार चींटियाँ उस बांबी से निकल पड़ी और नाग से लिपटकर उसके शरीर