मैं वह क्षत्राणी हूं जो (कविता)

मैं वह क्षत्राणी हूँ जो,
तुम्हें तुम्हारे कर्तव्य बताने आई हूँ।
मैं मदालसा का मातृत्व लिए,
माता की माहिमा दिखलाने आई हूँ।
मैं वह क्षत्राणी हूँ जो,
तुम्हें फिर से स्वधर्म बतलाने आई हूँ।
तुम जिस पीड़ा को भूल चुके,
मैं उसे फिर उकसाने आई हूँ।
मैं वह क्षत्राणी हूँ,
जो तुम्हें फिर से क्षात्र-धर्म सिखलाने आई हूँ।


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