समूची धरती पर तुलसी जैसा कोई पौधा नहीं है(महत्वपूर्ण बातें)

समूची धरती पर तुलसी जैसा कोई पौधा नहीं हैं....


“गाय को ढोर ना जानिए तुलसी ना जानिए पेड़” अर्थात गाय को केवल ढोर डंगर पशु नहीं समझना चाहिए और तुलसी को सिर्फ पेड़-पौधा समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।


युगों से तुलसी का बिरवा भारत में हर आंगन और घर की शोभा यूं ही नहीं होता, बल्कि तुलसी के पौधे में एक कोस के घेरे तक जरासीम (बैक्टिरिया) नष्ट करने की शक्ति है, तो ऊपरी बाधाएं भी उस घर में नहीं आती जहां तुलसी का पौधा हो। 


विज्ञान के अनुसार तुलसी धरती पर ओजोन गैस का एक मात्र स्रोत है, ओजोन गैस के कारण ही धरती का पानी वाष्प बनकर वायुमण्डल में नहीं समाता और सूर्य देव की घातक पराबैंगनी किरणें धरती तक नहीं पहुंचती। 


यही नहीं तुलसी का नियमित सेवन हमारे रोग-प्रतिरोधी क्षमता (इम्यून सिस्टम) को बढ़ाता है और कैंसर जैसे भयंकर रोग को पनपने नहीं देता। 


यजुर्वेद में तुलसी से अमृत, और स्वर्ण बनाने की विधि और उपयोग विधियां सूत्र रूप में दी गई है।
इस समग्र जानकारी को हमारे ऋषिमुनी जानते थे, इसीलिए उन्होंने हर घर में तुलसी उगाने की विधी और पहल की थी, बाद में वैज्ञानिक आविष्कारों से भी तुलसी की महता जग जाहिर हुई है। 


अनेक आख्यानों में तुलसी को पराभौतिकी पौधा बताते हुए इसे आनन्द का स्कस्त्रोत कहा गया है, इसी कारण वेद-पुराण, भागवत जैसे धर्म ग्रंथों में तुलसी की महत्ता बताई गई है।
भगवान नारायण के शालिग्राम श्रीविग्रह का भोग तुलसी के बिना तो लगता ही नहीं।


तुलसी का अर्थ है “तुला सी” अर्थात जिसकी कोई तुलना नहीं जो अतुलनीय है, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है।


(सामान्यता लोगों में ये धारणा है कि तुलसी को केवल हिंदू धर्म में महत्ता दी गई है पर कुरान, हदीस और कई अन्य इस्लामी ग्रंथों में भी इसका जिक्र हैं।
इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी तुलसी को रैहान कहा गया जिसमें इंसानों के लिये फायदे ही फायदे हैं, रैहान का शाब्दिक अर्थ तुलसी कहा है।


सूरह रहमान की एक आयत में इस धरती पर पाये जाने वाले अल्लाह की नेमतों में तुलसी का नाम है तो सूरह वाकिया में इसका वर्णन जन्नती पौधे के रुप में हुआ है, यानि तुलसी उन बिशिष्ट पौधों में शामिल है जो इस धरती पर भी है और जन्नत में भी है, इसी से तुलसी के महत्व का पता चलता है।) 


इस्लाम में जहां इसे खुदा की नेमत और जन्नती पौधा बताया गया है वहीं हमारे हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जिस धर में तुलसी का पौधा नहीं होता वहां ईश्वर आना पसंद नहीं करते।


धार्मिक मान्यताओं के अलावे तुलसी आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र में भी बिशिष्ट स्थान रखता है।
भारतबर्ष समेत दुनिया के तमाम हिस्सों में रोगोपचार और उससे बचाव के लिये सदियों से तुलसी का इस्तेमाल किया जाता रहा है।
प्राचीन तथा आधुनिक चिकित्सा शास्त्र की कोई भी विधि हो (एलोपैथी, होमियोपैथी, आयुर्वेद या यूनानी) तुलसी सभी में प्रयुक्त की जाती है। 


धरती पर पेड़-पौधों की हजारों-लाखों किस्में हैं परंतु पुराणों में वर्णित पौधों में तुलसी का एक अति बिशिष्ट स्थान है, यह तुला सी अतुलनीय है। 


इतनी बिशेषतायें वाले इस पौधे जिसके चिकित्सीय और औषधीय गुणों का चिकित्सा शास्त्र भी कायल है, इसलिए तुलसी को अपने घर में विशेष स्थान प्रदान करे।


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