अव्यवस्था

*-:अव्यवस्था:-*
 जिस #जनसंख्या विस्फोट के चलते  वैश्विक जगत के प्राकृतिक संसाधन सिमट रहे हों, दुनियां #प्रदूषण से जहरीली हो रही हो, मनुष्य जीवन जीने की मूलभूत जरूरतों को पूरी करने के लिए अपनत्व व अपनों को खो रहे हों।
           मनुष्य #मनुष्य को रौंदकर भी जिंदगी को पैर रखने की जगह न दे पा रहा हो।
            ऐसे में यदि कोई बच्चे पर #बच्चा पैदा करने की होड़ में लगा रहे तो उसे #विश्वद्रोह ही कहा जायेगा।
          अपने #भारत के संदर्भ में दो से अधिक संतानों को जन्म देने वाले #नागरिक के ऊपर भी वही आरोप लगे, तो आश्चर्य क्यों है?
      #युगनिर्माण आंदोलन के प्रणेता पं. #श्रीरामशर्माआचार्य ने तो अस्सी के दशक में ही न केवल संतान बढ़ाना देश के साथ घात बताया था। अपितु अपने मुख्यालय #शांतिकुंज में निवास करने वाले हर नवविवाहित जोड़ों को एक #संतान ही जन्म देने पर सहमत कर संकल्पित कराया था।    उनके आवाहन पर शांतिकुंज से लेकर देशभर में उनके लाखों शिष्यों ने इस संकल्प को कठोरता से अपने जीवन में पालन किया। पूज्यवर के #महाप्रयाण के बाद उनके अनेक निष्ठावान शांतिकुंज परिसर  वासी आज भी उन संकल्पों पर दृढ़ हैं। 
            वैसे देश में विकराल रूप लेती
जनसंख्या पर #कानून तो बहुत पहले ही बन जाना चाहिए था। पर जब चेतें तभी सबेरा।
        ऐसे में #संघप्रमुख आदरणीय #मोहनभागवत जी के आवाहन का हर निष्ठावान देशवासी द्वारा स्वागत होना चाहिए। #सरकार भी दृढ़ता के साथ इसपर कानून लाये।
       पर समझ नहीं आता न जाने ऐसी कौन सी बात उन्होंने कह दी कि बेचारे कुछ लोगों को चुभने लगी।
     आज जरूरत है गहराई से यह सोचने की कि यदि देश को विकास के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं, तो #जनसंख्यानियंत्रणकानून के अलावा विकल्प ही क्या है?
*✍ कौशलेन्द्र वर्मा।*


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