भक्त का भगवान
*-:भक्त का भगवान:-*
कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी
जो दीनो की दिल में जगह तुम न पाते यक्ष
तो किस दिल में होती हिफाजत तुम्हारी
गरीबों की दुनियां है आबाद तुमसे
गरीबों से है बादशाहत तुम्हारी
मुलजिम ही होते न तुम होते हाकिम
न घर-घर में होती इबादत तुम्हारी
तुम्हारी ही उल्फत के दृग बिंदु हैं यह
तुम्हें सौंपते हैं अमानत तुम्हारी
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*
Comments