धर्मात्मा मित्र

इस पोस्ट को देखकर एक महान धर्मात्मा मित्र ने यह लिखा कि मुर्ती की पैर छूने से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होगा पैर ही छूना है तो अपनी मां की छूओ तो इन महान धर्म पुरुष से मैंने कहा।
 मां बाप के चरण स्पर्श के उपरांत धर्म , सभ्यता, संस्कृति और माता, पिता, गुरु जन एवं बड़े बुजुर्गो ने निर्देश दिए कि जो सनातन संस्कृति की जननी व पोसन की धुरी है उस कामधेनु गाय रुपी गायत्री की सेवा में समर्पित हो जा।
तो सर्व श्रेष्ठ ज्ञानी महोदय स्पष्ट कहें मैं राह भटक गया या गौ भक्ती करके कोई अपराध कर दिया।
 *✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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