हिंसा और अहिंसा
*-:हिंसा और अहिंसा:-*
भगतसिंह और सुभाषचंद्र बोस का गांधीजी से हिंसा और अहिंसा को लेकर मतभेद था । बाकी वे दोनो ही गांधीजी का सम्मान करते थे । आजकल कुछ लोगो द्वारा गांधी विरुद्ध भगतसिंह - गांधी विरुद्ध बोस बनाने की कोशिश हो रही है , वैसा खुद भगतसिंह और बोस भी नही करते थे । फरवरी 1931 में अपने एक लेख में भगतसिंह लिखते है की , गांधीजी ने मजदूरो को सत्याग्रह आंदोलन में भागीदार बनाकर मज़दूर क्रांति की नई शुरुआत करदी है । क्रांतिकारीयो को इस अहिंसा के फरिश्ते को उनका योग्य स्थान देना चाहिए ।
जो मोबाइल को ही अपनी लायब्रेरी बना चुके हैं उन युवाओ को यह बात अच्छी तरह से जान लेनी चाहिए की भगतसिंह हिंसा और अहिंसा को लेकर सोचते क्या थे ?
* भगतसिंह कहते थे , हिंसा अंतिम क्षण में इस्तमाल करने की चीज़ है , वर्ना अहिंसा के मार्ग से ही क्रांति लाई जानी चाहिए ।
* जरुरी नही था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो । यह बम और पिस्तौल का पथ नही था ।
* बम और पिस्तौल क्रांति नही लाते । क्रांति की तलवार विचारो की धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है ।
* हिंसा तभी न्यायोचित है जब उसका सहारा किसी विकट आवश्यकता पडने पर लिया जाए । अहिंसा सभी जन आंदोलनो का अनिवार्य सिद्धांत होना चाहिए ।
- शहीद भगतसिंह
यदी गांधीजी के मन में कोई खोट होती तो फांसी के तीन दीन बाद कोंग्रेस अधिवेशन में भगतसिंहजी के पिता सरदार किशनसिंहजी और सुखदेवजी के भाई मधुरादासजी गांधीजी को मिलने क्यों आते ?
नेताजी सुभाषचंद्रने जब आझाद हिंद सेना बनाई तब उस सेना की पहली टुकड़ी का नाम गांधी ब्रिगेड रखा था । जब नेताजी को उनके अपने साथी ने कहा , आझादी मिलने के बाद हम क्या करेंगे ? नेताजी ने उत्तर दिया , हम गांधीजी की तरह दीन दुखियो की सेवा करेंगे । गांधीजी को सबसे पहले #राष्ट्रपिता नेताजी सुभाषचंद्र ने ही कहा था ।
जिन देश भक्तो ने देश के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी , वे भी कभी गांधीजी को कट्टू वचन नही बोले , मगर जिन लोगो ने देश के लिए नाख़ून कटवाने जीतना भी योगदान नही दीया , दिन रात अंग्रेजो की सेवा की वैसे लोगो के वैचारिक उत्तराधिकारी आज गांधीजी को गालिया दे रहे है ! ! ! !
समझ में नही आता कौनसा धर्म इंसान को गालीया देना सिखाता है ?
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*
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