नारायण को जाने

*-: नारायण को जानें;-*


जब अयोध्या नरेश दशरथ के मुख्य कुटनितिक मंत्री आर्य सुमन्त्र नें लक्ष्मण को ये बताया की श्री राम भगवान विष्णू के अवतार हैं और महाराज दशरथ और मुझे ये पहले से ही ज्ञात था तो लक्ष्मण बहुत व्याकुल हो गये और प्रभु श्री राम जी के पास गये और उनको पूछनें लगे की भईया मुझे आर्य सुमन्त्र जी नें कुछ बातें बताई जिससे मैं अत्यंत व्याकुल हो गया ।


लक्ष्मण की इस बात पर श्री राम जी नें उनसे पूछा की क्या बात है लक्ष्मण बताओ तो लक्ष्मण कहते हैं की आर्य सुमन्त्र कहते हैं की आप भगवान विष्णू के अवतार हैं और भाभी मां सीता , देवी लक्ष्मी जी की अवतार हैं और ये पिता जी और आर्य सुमन्त्र जी को महर्षि दुर्वासा जी नें पहले ही बता दिया था किंतू पिता जी फिर भी इतनें व्याकुल क्यों रहे ?


इस बात पर श्री राम कहते हैं की इश्वर तो कण-२ में व्याप्त हैं वो तुम में भी है और आर्य सुमन्त्र में भी ,,,तो तुम और सुमन्त्र भी तो भगवान हुऐ और त्रिकालदर्शी होनें को मैं मुख्य नहीं मानता क्योंकी योग-ध्यान के माध्यम से कोई भी त्रिकालदर्शी हो सकता है किंतू सुख और दु:ख में समभाव में रहना यही भगवान का स्वभाव है किंतू मनुष्य माया के वशीभुत होकर स्वयं को जान नहीं पाता और दु:खो को भोगता है और सुखों की कामनाओं में रहता है ।


अर्थात जो भी दिव्य पुरुष और महापुरुष हुऐ जिन्होंने भगवत्ता को जाना वो पूजनिय हो गये किंतू हर महापुरुष नें मनुष्य को यही बताया की जो नारायण मुझ में है वो नारायण तो तुझ में भी है ,,, अंतर मात्र इतना मैं नारायण को जान गया,,, तु अभी जान ना पाया ।


जय श्री राम ।
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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