थोड़ा दुनिया से हटकर चल
*-:थोड़ा दुनियां से हटकर चल:-*
कुछ करना है तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल ।
लीक पर तो सब चल ही लेते हैं,
कभी इतिहास को पलटकर चल ।
बिना काम के मुकाम कैसा ?
बिना मेहनत के दाम कैसा ?
जब तक ना हासिल हो मंजिल,
तो रहा में राही आराम कैसा ?
मन में अर्जुन सा निशाना रख ,
ना कोई बहाना रख।
जो लक्ष्य है सामने हैं ,
बस उसी पर अपना ठिकाना रख ।
सोच मत साकार कर ,
अपने कर्मों से प्यार कर।
मिलेगा तेरी मेहनत का फल ,
किसी और का ना इंतजार कर ।
जो चले थे अकेले ,
उनके पीछे आज हैं मेले ।
जो करते रहे इंतजार उनकी ,
जिंदगी में आज भी झमेले हैं ।
जिंदगी में पहले स्वयं को जानने की आवश्यकता हैं।
*पहाड़ चढ़ने वाला व्यक्ति झुककर चलता है और उतरने वाला अकड़ कर चलता है |*
*कोई अगर झुककर चल रहा है मतलब ऊँचाई पर जा रहा है और कोई अकड़ कर चल रहा है, मतलब नीचे जा रहा है |*
*"अभिमान"की ताकत फरिश्तो को भी"शैतान"बना देती है,और*
*"नम्रता"साधारण व्यक्ति को भी "फ़रिश्ता"बना देतीहै।*
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*
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