वर्ण व्यवस्था

*-:वर्ण व्यवस्था:-*
सर्राफा बाजारों में अधिकांश बंगाली मुस्लिम कारीगर काम करते हैं 
जिसमें गलाई पोलिस छिलाई इत्यादि कार्यों पर
 आज उनका एक छत्रराज हैं 
जिसके लिए वह धन के साथ छीदत के रुप में 
सोना लेते हैं कुछ समय विस्वास जमा लेने पर
वह दुकानदारों का सोना लेकर भी भाग जाते हैं।


ऐसे सभी कारीगरों का बहिष्कार करो और अब तो मुस्लमानों तक ने सुनार की दुकानें खोल ली हैं।


सभी स्वर्णकार यह सारे कार्य अपने बच्चों को सिखाऐं
जैसा की भगवान राम के आदेश से श्री अजमीढ़ जी द्वारा ब्रह्मा जी से यह कला प्राप्त हुई तब यह दूसरों तक कैसे पहुंची इसके जिम्मेदार आप ही हैं...
वर्णाश्रम व्यवस्था अनुसार यह कार्य करने के लिए स्वर्णकारों के पास अधिकार सुरक्षित हैं...
जैसे ब्राह्मण, नाई, बढ़ई, कुम्हार, लोहार, चर्मकार, इत्यादि
सभी के कार्यक्षेत्र सुरक्षित हैं सनातन धर्म में 
यह व्यवस्था जातिगत आरक्षण ही हैं....
जिसका जो जातिवर्ण हैं उसी हिसाब से उसका कार्यक्षेत्र
अतः स्वर्णकारों को ही नहीं बाकी सभी हिन्दूऔं को भी अपनी जातिवर्ण के अनुरूप कार्य करना चाहिए 
यह आपका जन्मसिद्ध अधिकार है...
जिसे कौई सरकार या अन्य आप से नहीं छीन सकता 
और हां इसे पढ़कर ये नहीं कहना कि 
आप तो संत हैं फिर जातिवर्ण इत्यादि पर या 
केवल एक समुदाय के लिए क्यों बोल रहे हैं...
यह सत्य हैं चारों वर्ण हमारे हैं....
हमारे लिए सब समान हैं... 
एक एक कर सभी पर लिखते रहें...
जय श्री अजमीढ़ देव जय श्री नरहरि ....
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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