अंदरूनी आइना:-* *सज्जनों को ही सदा मुसीबतें क्यों आती हैं ?

*-:अंदरूनी आइना:-*


*सज्जनों को ही सदा मुसीबतें क्यों आती हैं ?*
  
  सबसे पहले हम अच्छे लोग और बुरे लोगों के लक्षण जान लेते हैं  । दूसरों की मुसीबत के वक्त पर उनके कंधे के साथ कंधे मिलाने के लिए कभी भी पीछे नहीं हटनेवाले और अपनी  मुसीबत को दूसरों के साथ बाँटने के लिए झिझकनेवाले लोग ही अच्छे लोग याने सज्जन हैं । 
  इनके यह अति कोमल अच्छाई ही इनका बुढापा है । ये लोग खुद उपवास रहकर बच्चों को खिलानेवाली माँ की तरह, अपने घर को अंधेरा रखकर देश को प्रकाशित करनेवाले महात्मा की तरह  होते हैं । 
  बुरे लोग हिट्लर की तरह अमीरी के नशे में नरसंहार करनेवाले सर्वाधिकारी स्वभाववाले होते हैं । एक हैं महात्मा, जो मुसीबतों को भोगते ही हुतात्म हुए, और दूसरा है हिट्लर, वह भी दुःख में डूबकर ही मारा गया । याने यही सच निकला कि चाहे बुरे व्यक्ति हो या अच्छा व्यक्ति , दोनों को दुःख तो भोगना ही पडता है । तो सुख किसे मिलता है ? आनंद क्या है ? यह सवाल तो बाकी ही रहा । जानने के लिए आगे पढ़िए । 
  
  आप जान लीजिए कि अच्छेपन और बुराई इन दोनों को सुख और दुःख से कोई ताल्लुक ही नहीं रहता है । किसी भी तरह खुद को ठगे बिना , दूसरों की भी हानि पहुँचाए बिना , खुद की भूख के लिए निस्संकोच हाथ फैलाते हुए, दूसरों की भूख के लिए बिना लालच के दान करते हुए, ‘ ये अच्छे हैं ये बुरे हैं ’ इस तरह का कोई भेदभाव रखे बिना सभी के साथ समदृष्टि से देखते हुए मिलते हुए , ‘ दुर्जन का घर हो या सज्जन का घर आदिभिक्षु शिव को कहाँ का भेद रहता है ? ’ इस तरह की भावना से सभी के साथ मिलजुलकर रहनेवाले को हर जगह आनंद ही आनंद की प्राप्ति होती है । 
  बुरे लोग अपनी उन्नति के समय में किसी का भी खयाल ही न करके, जब मुसीबतें आन पडतीं तो सभी के सामने हाथ फैलानेवाले तुच्छ मनोभाव के होने के कारण बहुत धनवान  होने पर भी दुःख ही भोगते रहते हैं । अच्छे लोग कभी भी बुरे लोगों के संग में नहीं जाते, और बुरे लोग अच्छे लोगों को सह नहीं सकते । पर हमेशा सुखी रहनेवाला आदमी इन दोनों के साथ मिलकर भी न मिलनेवालों की तरह व्यवहार करते हुए , दूसरों की आवश्यकता पर मदद करते हुए, खुद को दुःख में न ढकेलते हुए, आपनी आवश्यकता पर दूसरों की सहायता पाने के लिए न झिझकते हुए, अंध-विश्वास के बिना भगवान पर विश्वास रखते हुए, देशभक्त होकर, अपने शरीर का स्वास्थ्य बरकरार रखकर, आनेवाले कल के लिए बचाए बिना , बीते हुए कल के लिए पछताए बिना ज़िंदगी बिताते हैं ।
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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