हृदय रोग के कारण

*-:हृदय रोग के कारण:-*


मनुष्य का दिल एक मिनट में करीब 72 बार धडक़ता है। 24 घंटों में 1,00,800 बार। एक दिन में मानव हृदय तकरीबन 2000 गैलन खून की पंपिंग करता है। इसलिए हृदय को शरीर का पंपिंग स्टेशन भी कहते हैं। हृदय के लगातार कार्ररत रहने के कारण इसकी अहमियत शरीर के लिए सहज ही समझी जा सकती है। 
हृदय रोग पूरी दुनिया के लिए एक अभिशाप साबित हो रहा हैं | ये सर्वविदित हैं की यह रोग घातक हैं | विश्व स्वास्थ्य संघटन ने ये दावा किया हैं की २०२० में विश्व की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा हृदय रोगियों की सख्या हो जाएगी | तो हमे मिलजुलकर इसके रोक थाम के लिए सही कदम उठाना चाहिए | 


अगर हम बात करे तो इसको कई चरणों में रोका जा सकता हैं | लेकिन रोकथाम से पहले इसके लक्षणों को जानना अतिआवश्यक हैं | 


हृदय मांसपेशियों का बना एक पंप है जो मांसपेशियों आरटरी और वीन्स को संकुचित कर रक्त की शरीर के विभिन्न भागों तक पंपिंग करता है। हृदय की इन्हीं धमनियों में चर्बी जमा होने से रक्त प्रवाह रुकता है जो हृदय को रक्त कम पहुँचता है और हृदय की पीड़ा शुरू हो जाती है। इस तरह हृदय रोग का दौरा पड़ता है जो अचानक मृत्यु का मुख्य कारण है।


हृदय रोग के कारण
• जवानी में हृदय रोग का मुख्य कारण अजीर्ण, धूम्रपान, मदिरा पान और अत्याधिक वसा एवं चिकनाईयुक्त भोजन है। धूम्रपान न करने से हृदय रोग की संभावना काफी कम हो जाती है। हालांकि, उच्च रक्तचाप, ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्रोल, अति चिंता और मधुमेह भी हृदय रोग के मुख्य कारण हैं।


• इसके अलावा मोटापा, गुर्दों का संक्रमण, ब्लड प्रेशर, ज्यादा श्रम, मल-मूत्र रोकने और आहार-विहार में प्राकृतिक नियमों की अवहेलना और शारीरिक व्यायाम न करना आदि से रक्त में वसा की मात्रा बढ़ जाती है। इससे धमनियों में कोलेस्ट्रोल के थक्के जम जाते हैं जिससे रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। यह हृदय घात का कारण बनता है।
• हृदय रोग के मुख्य लक्षण 
• छाती में बाईं ओर या छाती के बीच में तीव्र पीड़ा होना या दबाव सा महसूस होना, कभी पसीना आने और सांस तेजी से चलना भी लक्षण है।
• कभी ऐसा लगे कि छाती को किसी ने चारों ओर से बांध दिया हो या छाती पर पत्थर जैसी भारी चीज रख दी हो 
• कभी-कभी छाती के बाएं या मध्य भाग में दर्द न होकर शरीर के अन्य भागों जैसे कंधे, बाएं हाथ, बाईं ओर गर्दन, नीचे के जबड़े में, कोहनी में या कान के नीचे वाले हिस्से में में दर्द होना भी हृदय रोग का लक्षण है।
• पेट में जलन, भारीपन लगना, उल्टी होना और कमजोर आदि भी लक्षण हृदय रोगियों में देखे जाते हैं।
• कभी-कभार यह दर्द काम करते समय, चलते समय या भोजन करने के बाद भी शुरु हो जाता है। हालांकि, सोते ही तबियत दुरुस्त होती प्रतीत होती है। हालांकि, हृदयरोग होने पर आराम करने से भी लाभ नहीं होता
• मधुमेह के रोगियों को बिना दर्द किसी दर्द के भी हृदयरोग का आक्रमण हो सकता है जिससे जान तक जा सकती है


आयुर्वेदिक उपचार : 


आयुर्वेद में हृदय रोगिवो के लिए अर्जुन का छाल को सबसे सदुपयोगी माना गया हैं | इसको नित्य दूध में अच्छी तरह उबाल के पिए | ह्रदय रोग से निजात दिलाने में सबसे बड़ा रामबाण हैं | इसको कोई भी प्रयोग में ले सकता हैं | यह हाई बी.पी को भी कण्ट्रोल करता हैं | मोटापे से भी निजात दिलाने में सहायक हैं |
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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