जब श्री कृष्ण ने शनिदेव को दिए दर्शन

*-:जब श्रीकृष्ण ने शनिदेव को दिए दर्शन:-*
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*जब श्रीकृष्ण ने जन्म लिया तो सभी देवी-देवता उनके दर्शन करने नंदगांव पधारे। कृष्णभक्त शनिदेव भी देवताओं संग श्रीकृष्ण के दर्शन करने नंदगांव पहुंचे परंतु मां यशोदा ने उन्हें नंदलाल के दर्शन करने से मना कर दिया क्योंकि मां यशोदा को डर था कि शनि देव की वक्र दृष्टि कहीं कान्हा पर न पड़ जाए।*


*परंतु शनिदेव को यह अच्छा नहीं लगा और वो निराश होकर नंदगांव के पास जंगल में आकर तपस्या करने लगे। और सोचने लगे कि पूर्णपरमेश्वर श्रीकृष्ण ने ही तो मुझे न्यायाधीश बनाकर पापियों को दण्डित करने तथा सज्जनों, सत-पुरुषों, भगवत भक्तों का सदैव कल्याण करने का कार्य सौंपा है।* 


*भगवान श्रीकृष्ण शनिदेव की इस तपस्या से द्रवित हो गए और शनि देव के सामने कोयल के रूप में प्रकट होकर कहा – हे शनि देव आप निःसंदेह अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हो और आप के ही कारण पापियों – अत्याचारियों – कुकर्मियों का दमन हो रहा है और परोक्ष रूप से कर्म-परायण, सज्जनों, सत-पुरुषों, भगवत भक्तों का कल्याण होता है,*


*आप धर्म-परायण प्राणियों के लिए ही तो कुकर्मियों का दमन करके उन्हें भी कर्तव्य परायण बनाते हो, आप का  ह्रदय तो पिता की तरह सभी कर्तव्यनिष्ठ प्राणियों के लिए द्रवित रहता है और उन्हीं की रक्षा के लिए आप एक बलवान पिता की तरह सदैव उनके अनिष्ट स्वरूप दुष्टों को दंड देते हैं। हे शनिदेव !*


*मैं आप से एक भेद खोलना चाहता हूं, कि यह बृज-क्षेत्र मुझे परम प्रिय है और मैं इस पवित्र भूमि को सदैव आप जैसे सशक्त-रक्षक और पापियों को दंड देने में सक्षम कर्तव्य-परायण शनि देव कि क्षत्र-छाया में रखना चाहता हूं इसलिए हे शनि देव – आप मेरी इस इच्छा को सम्मान देते हुए इसी स्थान पर सदैव निवास करो, क्योंकि मैं यहां कोयल के रूप में आप से मिला हूं इसीलिए आज से यह पवित्र स्थान “कोकिलावन” के नाम से विख्यात होगा।*


*यहां कोयल के मधुर स्वर सदैव गूंजते रहेंगे, आप मेरे इस बृज प्रदेश में आने वाले हर प्राणी पर नम्र रहें साथ ही कोकिलावन-धाम में आने वाला आप के साथ – साथ मेरी भी कृपा का पात्र होगा।
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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