राम मंदिर का निर्माण

*-:राममंदिर का निर्माण:-*


राममंदिर का निर्माण असली शंकराचार्यों और वैष्णवाचार्यों द्वारा ही होगा। यह कार्य सरकार द्वारा सम्भव नही है इस कार्य मे धर्माचार्यों का अधिकार हैं..
जैसे आद्यजगद्गुरू शंकराचार्य जी ने भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों इक्यावन शक्ति पीठ, बारह ज्योतिर्लिंग, सात सप्तपुरी और चार धाम आदि का पुनरुद्धार किया था ठीक वैसे ही सनातन धर्म के श्रेष्ठ आचार्यों द्वारा ही राममंदिर निर्माण हो सकता है। हमे ऐसे सरकारी ट्रस्ट की कोई आवश्यकता नही जिसमें हमारे सर्वश्रेष्ठ आचार्यों का अपमान कर एक फर्जी भगवाधारी और भगवान राम को भगवान ना मानने महापुरुष बताने वाले स्वयं सेवक संघ के सदस्यों को ही लिया गया हो। ऐसे लोग मठ मंदिर की मर्यादा भंग करेंगे इसमे कोई दो राय नही है। यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। 
मंदिर का निर्माण शास्त्र और वास्तु विज्ञान के आधार पर होना चाहिये। अयोध्या उत्तर भारत के अन्तर्गत होने के कारण ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी के अधिकारक्षेत्र में आता है अतः उनके नेतृत्व की बिना अयोध्या मन्दिर का निर्माण उचित नही है।अपने दायित्व को समझते हुए ही ज्योतिष्पीठ के असली शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अखिल भारतीय रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति नामक संगठन बनाकर अपने पास से करोड़ो रूपये खर्च करके 1989 से अब तक न्यायालय में केस लड़ा और उनके बदौलत ही यह सिद्ध हो पाया कि जो स्थान राम की जन्मभूमि कही जाती है वो वास्तव में वही स्थान है। उनके शिष्य प्रतिनिधि स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज ने कई महीनों धार्मिक एक्सपर्ट के तौर पर कोर्ट में गवाही दी जिससे कोर्ट को केस हल करने में सफलता मिली जिसके लिए कोर्ट ने स्वामी जी का धन्यवाद तक किया है। ये सब कोई भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पढ़कर देख सकता है अतः इसलिए शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन में सभी सर्वश्रेष्ठ आचार्यों के सान्निध्य में राममंदिर का निर्माण होना चाहिये जो लोग फर्जी भगवाधारी को शंकराचार्य घोषित कर रहे हैं उन्हें यह अधिकार नहीं यह तानाशाही सनातनियों को स्वीकार नही है।
न्यायालय द्वारा भी यह कहा गया है वासूदेवानंद शंकराचार्य नहीं हैं।
फिर न्यायालय की अवमानना क्यों की जा रही हैं...
हे सनातनी बंधुओं आज आपकी चुप्पी आने वाले कल में सनातन धर्म के लिए बहुत घातक होगी 
अब चुप रहना धर्मद्रोही होना है।
आपकी पीढ़ियां आपके पूर्वज आपको धिक्कारेंगे । आप इस चुप्पी पर मौन तोड़े धर्म की रक्षा करें यही आपका कर्तव्य है।...
मौन रह कर अधर्म को बल ना दें।
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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