रानी रुदाबाई

*-:रानी रुदाबाई:-*


पाटण की रानी रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर दिल निकाल लिया था, और कर्णावती शहर के बिच में टांग दिया था, एवम दूसरी ओर धड से सर अलग करके पाटन राज्य के बीचोबीच टांग दिया था। 


गुजरात से कर्णावती  के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला., ईस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे, पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् १४९७ पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की ४०००० से अधिक संख्या की फ़ौज २ घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा। 


असल मे कहते है सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पे थी, रानी बहुत सुंदर थी, वो रानी को युद्ध मे जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया। 


राज्य का एक साहूकार इस बार सुलतान बेघारा से जा मिला, और राज्य की सारी गुप्त सूचनाएं सुलतान को दे दी, इस बार युद्ध मे राणा वीर सिंह वाघेला को सुलतान ने छल से हरा दिया जिससे राणा वीर सिंह उस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए। 


सुलतान बेघारा रानी रुदाबाई को अपनी वासना का शिकार बनाने हेतु राणा जी के महल की ओर १०००० से अधिक लश्कर लेकर पंहुचा, रानी रूदा बाई के पास शाह ने अपने दूत के जरिये निकाह प्रस्ताव रखा,


रानी रुदाबाई ने महल के ऊपर छावणी बनाई थी जिसमे २५०० धनुर्धारी वीरांगनाये थी, जो रानी रूदा बाई का इशारा पाते ही लश्कर पर हमला करने को तैयार थी, सुलतान बेघारा को महल द्वार के अन्दर आने का न्यौता दिया गया। 


सुल्तान बेघारा वासना मे अंधा होकर वैसा ही किया जैसे ही वो दुर्ग के अंदर आया राणी ने समय न गंवाते हुए सुल्तान बेघारा के सीने में खंजर उतार दिया और उधर छावनी से तीरों की वर्षा होने लगी जिससे शाह का लश्कर बचकर वापस नहीं जा पाया। 


सुलतान बेघारा का सीना फाड़ कर रानी रुदाबाई ने कलेजा निकाल कर कर्णावती शहर के बीचोबीच लटकवा दिया।


और..उसके सर को धड से अलग करके पाटण राज्य के बिच टंगवा दिया साथ ही यह चेतावनी भी दी की कोई भी आक्रांता भारतवर्ष पर या हिन्दू नारी पर बुरी नज़र डालेगा तो उसका यही हाल होगा। 


इस युद्ध के बाद रानी रुदाबाई ने राजपाठ सुरक्षित हाथों में सौंपकर कर जल समाधि ले ली, ताकि कोई भी तुर्क आक्रांता उन्हें अपवित्र न कर पाए। 


ये देश नमन करता है रानी रुदाबाई को, गुजरात के लोग तो जानते होंगे इनके बारे में। ऐसे ही कोई क्षत्रिय और क्षत्राणी नहीं होता, हमारे पुर्वज और विरांगानाये ऐसा कर्म कर क्षत्रिय वंश का मान रखा है और धर्म बचाया है।


*अफसोस ऐसे  वीरों की कहानियां इतिहास के पन्नो से गायब कर दी गई जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सके, , वामपंथियों ने छाँट छाँट कर उन्ही घटनाओं को इतिहास में सम्मलित किया है, , जिसमे हिन्दू हारे हो, जिसमे हिन्दू विघटित हुआ हो, , ताकि हिंदुओ के मनोबल को कमजोर किया जा सके, हिन्दू छिन्न भिन्न हो सके, , हिंदुओ के मन मे हमेशा शंका बनी रहे की हिन्दू संगठित नही हो सकते , हिंदुओ के बीच मे कोई गद्दारी अवश्य करेगा, , ताकि गद्दारी के शंका से एक दूसरे पर भरोसा न कर सके, , जब भरोसा ही नही रहेगा तो संगठित कैसे रहेंगे*।


*जो काम दुश्मनों की तलवार न कर सकी, वो वामपंथियों के किताब की चंद लाइनों ने कर दिया है*।
आज हम विघटित है,
*✍ कौशलेंद्र वर्मा।*


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