जैसी संगत बैठिए तैसोई फल दीन
मनुष्य जिस संगति में बैठता है, वैसा ही फल मिलता है। कहने का अर्थ है कि संगति का प्रभाव अवश्य होता है। एक प्रसिद्ध कहावत है -
काजर की कोठरी में कैसो हू सायानो जाए, एक रेख काज़र की लागे ही लागे।
यदि सज्जन दुर्जनो से घिरा रहेगा, दुर्जनों के अवगुण उस पर जरूर प्रभाव डालेंगे। जिन मित्रों के साथ हम रहते है, उनके प्रभाव से बचना अत्यंत कठिन है। यदि मित्र अच्छे होंगे, तो हम उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। यदि वे मौजी, विलासी और घुमक्कड़ हैं, तो हमे भी वैसा ही बना देंगे। यदि वे पढ़ाकू, गंभीर और जागरूक होंगे, तो वे हमे भी जागरूक बना देंगे। अतः हमें सोच समझ कर मित्रता करनी चाहिए कि हम कैसे बनाना चाहते हैं? यदि आप सफल बनाना चाहते हैं तो सफल लोगों के साथ मित्रता करें। यदि समाज सेवा करना चाहते हैं, तो सज्जनों के साथ मित्रता करें। मित्रता अपना प्रभाव अवश्य छोड़ती है।
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