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Showing posts with the label अनमोल वचन

जब कोई चीज मुफ्त मिल रही हो। तो समझ लेना उसकी भारी कीमत देनी पड़ेगी

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जब कोई चीज मुफ्त मिल रही हो, तो समझ लेना कि आपको इसकी कोई बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। नोबेल विजेता डेसमंड टुटू ने एक बार कहा था कि ‘जब मिशनरी अफ्रीका आए, तो उनके पास बाईबल थी, और हमारे पास जमीन। उनहोंने कहा 'हम आपके लिए प्रार्थना करने आये हैं।’ हमने आखें बंद कर लीं,,, जब खोलीं तो हमारे हाथ में बाईबल थी, और उनके पास हमारी जमीन।’   इसी तरह जब सोशल नैटवर्क साइट्स आईं, तो उनके पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे, और हमारे पास आजादी और निजता थी।   उन्होंनें कहा 'ये मुफ्त है।’ हमने आखें बंद कर लीं, और जब खोलीं तो हमारे पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे, और उनके पास हमारी आजादी और निजी जानकारियां। जब भी कोई चीज मुफ्त होती है, तो उसकी कीमत हमें हमारी आजादी दे कर चुकानी पड़ती है।  “ज्ञान से शब्द समझ आते हैं, और अनुभव से अर्थ”   

परमेश्वर की कृपा:

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*-: परमेश्वर की कृपा:-* *प्रकृत्य ऋषि का* *रोज का नियम था कि* *वह नगर से दूर जंगलों में स्थित शिव मंदिर में भगवान् शिव की पूजा में लींन रहते थे।* *कई वर्षो से यह उनका अखंड नियम था उसी जंगल में एक नास्तिक डाकू अस्थिमाल का भी डेरा था।* *अस्थिमाल का भय आसपास के क्षेत्र में व्याप्त था अस्थिमाल बड़ा नास्तिक था वह मंदिरों में भी चोरी-डाका से नहीं चूकता था।* *एक दिन अस्थिमाल की नजर प्रकृत्य ऋषि पर पड़ी उसने सोचा यह ऋषि जंगल में छुपे मंदिर में पूजा करता है हो न हो इसने मंदिर में काफी माल छुपाकर रखा होगा आज इसे ही लूटते हैं।* *अस्थिमाल ने प्रकृत्य ऋषि से कहा कि जितना भी धन छुपाकर रखा हो चुपचाप मेरे हवाले कर दो।* *ऋषि उसे देखकर तनिक भी विचलित हुए बिना बोले- कैसा धन ?* *मैं तो यहाँ बिना किसी लोभ के पूजा को चला आता हूं।* *डाकू को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ।* *उसने क्रोध में ऋषि प्रकृत्य को जोर से धक्का मारा।* *ऋषि ठोकर खाकर शिवलिंग के पास जाकर गिरे और उनका सिर फट गया।* *रक्त की धारा फूट पड़ी।* *इसी बीच आश्चर्य ये हुआ कि ऋषि प्रकृत्य के गिरने के* *फलस्वरूप शिवालय की छत से सोने की कुछ मोहरें अस्

अंदरूनी आइना:-* *सज्जनों को ही सदा मुसीबतें क्यों आती हैं ?

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*-:अंदरूनी आइना:-* *सज्जनों को ही सदा मुसीबतें क्यों आती हैं ?*      सबसे पहले हम अच्छे लोग और बुरे लोगों के लक्षण जान लेते हैं  । दूसरों की मुसीबत के वक्त पर उनके कंधे के साथ कंधे मिलाने के लिए कभी भी पीछे नहीं हटनेवाले और अपनी  मुसीबत को दूसरों के साथ बाँटने के लिए झिझकनेवाले लोग ही अच्छे लोग याने सज्जन हैं ।    इनके यह अति कोमल अच्छाई ही इनका बुढापा है । ये लोग खुद उपवास रहकर बच्चों को खिलानेवाली माँ की तरह, अपने घर को अंधेरा रखकर देश को प्रकाशित करनेवाले महात्मा की तरह  होते हैं ।    बुरे लोग हिट्लर की तरह अमीरी के नशे में नरसंहार करनेवाले सर्वाधिकारी स्वभाववाले होते हैं । एक हैं महात्मा, जो मुसीबतों को भोगते ही हुतात्म हुए, और दूसरा है हिट्लर, वह भी दुःख में डूबकर ही मारा गया । याने यही सच निकला कि चाहे बुरे व्यक्ति हो या अच्छा व्यक्ति , दोनों को दुःख तो भोगना ही पडता है । तो सुख किसे मिलता है ? आनंद क्या है ? यह सवाल तो बाकी ही रहा । जानने के लिए आगे पढ़िए ।       आप जान लीजिए कि अच्छेपन और बुराई इन दोनों को सुख और दुःख से कोई ताल्लुक ही नहीं रहता है । किसी भी तरह खुद को ठगे बिना

सनातनियों के पास उस परमेश्वर के सिमरन हेतु अनंत भंडार है फिर भी यदी सनातनी भयभीत है , अर्थात वो अपनें सनातनी ज्ञान सागर से कटा हुआ है ।

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सनातनियों के पास उस परमेश्वर के सिमरन हेतु अनंत भंडार है फिर भी यदी सनातनी भयभीत है , अर्थात वो अपनें सनातनी ज्ञान सागर से कटा हुआ है ।  प्रात: वंदन और संध्या उपासना से जुड़ जाओ तुमसे बड़ा महावीर इस धरा पर कोई नहीं । बजरंग बाण " दोहा " "निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।" "तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥" "चौपाई" जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु विनय हमारी।। जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।। जैसे कूदि सिन्धु के पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।। आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।। जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।। बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जम कातर तोरा।। अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।। लाह समान लंक जरि गई। जय जय जय धुनि सुरपुर नभ भई।। अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।। जय जय लखन प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।। जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।। जय हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।। गदा बज्र लै बैरिहिं

मुस्कुराइए

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#मुस्कुराइए एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली "डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?" मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।" तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।" मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह

कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन का रहस्य

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*-:कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन का रहस्य?:- * *प्राचीन समय के ऋषियों मुनियों ने अपने शोध में बताया था की प्रत्येक जानवर के विचित्र व्यवहार एवं हरकतों का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य होता है. जानवरों के संबंध में अनेको बाते  हमारे पुराणों एवं ग्रंथो में भी विस्तार से बतलाई गई है।* *हमारे सनातन धर्म में माता के रूप में पूजनीय गाय के संबंध में तो बहुत सी बाते आप लोग जानते ही होंगे परन्तु आज हम जानवरों के संबंध में पुराणों से ली गई कुछ ऐसी बातो के बारे में बतायेंगे जो आपने पहले कभी भी किसी से नहीं सुनी होगी. जानवरों से जुड़े रहस्यों के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई जो किसी को आश्चर्य में डाल देंगी।*   *कौए का रहस्य*  *कौए के संबंध में पुराणों बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई है मान्यता है की कौआ अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरो का आश्रम स्थल माना जाता है।* *हमारे धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने  देवताओ और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था. यही कारण है की कौआ की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती. यह पक्षी कभी किसी बिमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्

थोड़ा दुनिया से हटकर चल

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*-:थोड़ा दुनियां से हटकर चल:-* कुछ करना है तो डटकर चल, थोड़ा दुनियां से हटकर चल । लीक पर तो सब चल ही लेते हैं, कभी इतिहास को पलटकर चल । बिना काम के मुकाम कैसा ? बिना मेहनत के दाम कैसा ? जब तक ना हासिल हो मंजिल, तो रहा में राही आराम कैसा ? मन में अर्जुन सा निशाना  रख , ना कोई बहाना रख। जो लक्ष्य है सामने हैं , बस उसी पर अपना ठिकाना रख । सोच मत साकार कर , अपने कर्मों से प्यार कर। मिलेगा तेरी मेहनत का फल , किसी और का ना इंतजार कर । जो चले थे अकेले , उनके पीछे आज हैं मेले । जो करते रहे इंतजार उनकी , जिंदगी में आज भी  झमेले हैं । जिंदगी में पहले स्वयं को जानने की आवश्यकता हैं। *पहाड़ चढ़ने वाला व्यक्ति झुककर चलता है और उतरने वाला अकड़ कर चलता है |* *कोई अगर झुककर चल रहा है मतलब ऊँचाई पर जा रहा है और कोई अकड़ कर चल रहा है, मतलब नीचे जा रहा है |* *"अभिमान"की ताकत फरिश्तो को भी"शैतान"बना देती है,और* *"नम्रता"साधारण व्यक्ति को भी "फ़रिश्ता"बना देतीहै।*    *✍ कौशलेंद्र वर्मा।*

बहुत ठंड है मां

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*-:बहुत ठंड है मां:-* हे मां,, बहुत ठंड है, मेरी तो जान ही निकल रही है,,, मेरे हिस्से का तूने जिन्हें दूध दिया था, वे तो कोई हमारी चिन्ता नहीं कर रहे हैं? बेटा,,, ये मानव है, कलयुगी मानव बहुत कठोर दिल होता है, भयंकर खुदगर्ज होता है,, उसे केवल अपने बच्चे ही अच्छे लगते हैं,,, बेटा हमें तो कलयुग में कष्ट ही मिलेंगे,,, इन मनुष्यों से आस रखना तो धोखा खाना है, बेटा तूं नजदीक आ जा, मेरी गोदी में बैठ जा,, *✍ कौशलेंद्र वर्मा।*

संबंध उसी आत्मा से

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कभी-कभी किसी को जीते जी

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मैं प्रभु

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एक पिता

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जरूरी नहीं है

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जिसने संसार को

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आ पवित्र विचार आदमी को

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महात्माओं ने हर युग में अपने मन

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पवित्रता

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व्यक्तिगत के लिए इस मौन का

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जिसके साथ बात करने

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तालाब सदा कुए से

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