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कोरोना और प्रकृति

कोरोना एक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है, जो की  मानव समाज के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। पूरी दुनिया इस समस्या से निकलने के लिए दवाई या टीके की खोज कर रही है परंतु प्रकृति शायद कुछ और ही संदेश दे रही है।  दुनिया के कई शहरों में लॉक डाउन के कारण लोग अपने घरो में बंद है। मोटर,कार, केमिकल फैक्ट्री,  सब बंद है। शहरों में प्रदुषण का स्तर बहुत कम हो गया है, नदियों का पानी भी पहले की अपेक्षा बहुत साफ़ हो गया है। ऐसा लगता है मानो प्रकृति अपना नव निर्माण कर रही है। दिल्ली जैसे शहर जहाँ आसमान में चाँद के अलावा कुछ नहीं दिखता था वो आज सितारों से भरा रहता है। ध्वनि प्रदूषण में भी बहुत कमी हुई हैं। पर अफसोस यह सिर्फ लॉक डाउन तक ही रहेगा।   य

हिंदी

किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक भाषा होती है जो उसका गौरव होती है। राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए जो किसी भी राष्ट्र के लिये महत्वपूर्ण होती है।  निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।  बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल।  स्वंत्रता प्राप्ति से पूर्व कांग्रेस ने यह निर्णय लिया था की स्वंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की राजभाषा हिंदी होगी। स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को ही हिंदी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दे दी।  किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने के लिए उसमें सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता, सब प्रकार के भावों को प्रकट करने की सामर्थ्य आदि गुण होने अनिवार्य होते हैं। यह सभी गुण हिंदी भाषा में हैं।  आज भी हिंदी देश के कोने-कोने में बोली जाती है। अहिंदी भाषी भी थोड़ी-बहुत और टूटी-फूटी हिंदी बोल और समझ सकता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आदि राज्यों की यह राजभाषा है। पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अंडमा