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राख का महत्त्व

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*-:राख का महत्त्व:-* *चंदन जल कुन्दन भया कुन्दन जल भयो "राख"* अगर हम अपनी बात करें तो 90 के दशक में जब हम अपने गांव मे रहते थे तब उस समय भो गांवों में या सामान्यता हर घरों में हैंड सैनीटाइजर नहीं हुआ करते थे और साबुन भी दुर्लभ वस्तुओं की श्रेणी आता था तो उस समय हाथ धोने के लिए जो सर्वसुलभ वस्तु थी वह थी चूल्हे की राख जो बनती थी लकड़ी और गोबर के कण्डों के जलाये जाने से। जिसका प्रयोग बर्तन साफ करने में भी किया जाता था। चूल्हे की राख में ऐसा क्या था कि वह उस जमाने का हैंड सैनीटाइजर थी और बर्तन साफ करने का सुरक्षति तरीका ? चूल्हे की राख का संगठन है ही कुछ ऐसा। आइये चूल्हे की राख का वैज्ञानिक विश्लेषण करें। राख में वो सभी तत्व पाए जाते हैं जो पौधों में उपलब्ध होते हैं। ये सभी मेजर और माइनर एलिमेंट्स पौधे या तो मिट्टी से ग्रहण करते हैं या फिर वातावरण से। सबसे अधिक मात्रा में होता है कैल्शियम। इसके अलावा होता है पोटेशियम, अल्युमिनियम, मैग्नीशियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैगनीज, सोडियम और नाइट्रोजन। कुछ मात्रा में जिंक, बोरोन, कॉपर, लैड, क्रोमियम, निकल, मोलीब्डीनम, आर्सेनिक, कैडमियम, मरकरी और

पुरातन अनुसंधान के कोरोनावायरस पर असर

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*-:पुरातन अनुसंधान के कोरोनावायरस पर असर:-* यह बात काफी पुरानी है, सन् १९२८ में जर्मन के बर्लिन विश्वविद्यालय ने शंख ध्वनि का अनुसन्धान करके सिद्ध किया कि प्रति सेकन्ड २६ घन फुट वायु शक्ति के जोर से बजते हुए शंख से निकलने वाली ध्वनि तरंगें १२००फीट दूरी तक की परिधि में आने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है तथा २६०० फीट दूरी तक के बैक्टीरिया अक्रियाशील हो जाते हैं। बैक्टीरिया के अतिरिक्त इससे हैजा, गर्दन तोड़ बुखार तथा कमर ज्वर के विषाणु भी नष्ट होते हैं| जिस स्थान पर शंख बजता है, वह स्थान बैक्टीरिया रहित हो जाता है  अमेरिका के शिकागो के डॉ० ब्राइन ने भी इस तरह के अनेक परी़क्षण किए हैं।  - रूस के मास्को सैनीटोरियम में घंटा ध्वनि का तपेदिक रोग के उपचार में सफल प्रयोग किया गया है| वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि घंटे की ध्वनि से वातावरण में उपस्थित बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं तथा वातावरण  शुद्ध हो जाता है। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश वासियों से ये  कहा कि वो 22 मार्च जनता कर्फ्यू के दिन अपने-अपने घरों में से ही ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजाकर,शंख ब

विजया अर्थात भंग

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*-:विजया अर्थात भंग:-* *शिवप्रिया, विजया अर्थात भंग- - - - -* भारत में एलोपैथी और शराब का धंधा जमाने के लिए अंग्रेजों ने भांग को बदनाम कर प्रतिबंधित कर दिया। आइए इनके बदरंग में भंग करे, भंग का रंग जमा कर - इसके पत्ते मसल कर कान में दो दो बूंद रस डालने से दर्द गायब हो जाता है। - सिरदर्द में इसके पत्ते पीस कर सूंघे या इसका दो दो बूंद रस नाक में डाले। - इसके चुटकी भर चूर्ण में पीपर, काली मिर्च व सौंठ डाल कर लेने से खांसी में लाभ होता है। - नपुंसकता और शारीरिक क्षीणता के लिए भांग के बीजों को भूनकर चूर्ण बना कर एक चम्मच नित्य सेवन करे। - अफगानी पठान इसके बीज फांकते है तभी लंबे चौड़े होते है। भारतीय दिन पर दिन लंबाई में घट रहे है। - संधिवात में भी इसके भूने बीजों का चूर्ण लाभकारी है। - यह वायु मंडल को शुद्ध करता है। - इससे पेपर, कपड़ा आदि बनता है। - इसका कपड़ा एंटी कैंसर होता है। - यह टीबी, कुष्ठ, एड्स, कैंसर, दमा, मिर्गी, मानसिक रोग जैसे 100 रोगों का इलाज करता है। - सिद्ध आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। यह सूक्ष्म शरीर पर पहले कार्य करता है। - तपस्वी, ऋषि मुनि इसका सेवन साधना में लाभ के लि

यज्ञ में जावित्री की आहुति कोरोना वायरस का काल है

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*-:यज्ञ में जावित्री की आहुति कोरोना वायरस का काल है :-* """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" कोरोना  वायरस दुनिया में कहर ढा रहा है अब यह चीन की महामारी  ना होकर  विश्वमहारी की ओर बढ़ रहा है| 50 देशों में फैल गया है 2800 से अधिक मौतें 75000 से अधिक केस सामने आ आ चुके हैं| कोरोना  इबोला हेपेटाइटिस स्वाइन फ्लू या अन्य महामारी संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस कोई आजकल के तो है नहीं यह भी उतने ही प्राचीन है कि जितना प्राचीन पृथ्वी पर जीवन है| 14 शताब्दी में मध्य एशिया यूरोप में  प्लेग के वायरस ने 20 करोड लोगों का सफाया कर दिया था यह virus भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाया | भारत की संस्कृत

एक_दृश्य_ये_भी.... था:-* *यह चित्र 1908 को लिया गया अमृतसर के हरिमंदिर साहब का है जिसे अंग्रेज़ ईसाईयों व वामपंथियों ने गोल्डन_टेंपल कहना शुरू किया...*

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*-:एक_दृश्य_ये_भी.... था:-* *यह चित्र 1908 को लिया गया अमृतसर के हरिमंदिर साहब का है जिसे अंग्रेज़ ईसाईयों व वामपंथियों ने गोल्डन_टेंपल कहना शुरू किया...* अब यह चित्र देखकर आपके मन में यह प्रश्न उठेगा कि यहां हिन्दू साधु ध्यान कैसे कर रहे हैं वो भी सिक्ख तीर्थ हर मन्दिर साहब में ? चलिए तनिक इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं ! सिक्खों के पहले गुरु - श्री गुरुनानक देव जी थे 2- गुरु अंगददेव जी 3- गुरु अमरदास जी 4- गुरु रामदास जी 5- गुरु अर्जुनदेव जी 6- गुरु हरगोविंद जी 7- गुरु हरराय जी 8 - गुरु हरकिशन जी 9- गुरु तेगबहादुर जी 10- गुरु गोविंद सिंह जी सभी गुरुओं के नाम में राम, अर्जुन, गोविंद (कृष्ण), हर(महादेव) हैं। जब औरँगजेब ने कश्मीर के पंडितों को इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा तो कश्मीरी पंडितों ने गुरू तेगबहादुर जी के पास मदद के लिए गुहार लगाई तब गुरु तेगबहादुर जी ने कहा कि जाओ औरंगजेब से कहना यदि हमारे गुरु तेगबहादुर जी यदि मुसलमान बन गए तो हम भी मुसलमान बन जाएंगे । ये बात पंडित औरंगजेब तक पहुंचा देते हैं , तब औरंगजेब गुरु तेगबहादुर जी को दिल्ली बुलाकर मुसलमान बनने के लिए दवाब डालता है ले

योगी राजकुमार

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*-:योगी राजकुमार:-*   योगी राजकुमार एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने योग, साधना, गौसेवा और समाज सेवा हेतु दुबई की चकाचौंध भरी जीवनशैली को ठोकर मार दी और उत्तर प्रदेश के अयोध्या के समीप जिला बस्ती में ग्राम देवकली स्थित अयोध्या 24 कोसी परिक्रमा पथ पर अपना आश्रम बनाकर नित्य योग ध्यान की अलख जगाते हैं व किसानों को जहरीले पेस्टिसाइड से मुक्त कर धरती को स्वच्छ बनाने के लिए गौ आधारित कृषि पर जन जागरूकता एवं प्रशिक्षण का आयोजन करते रहते हैं, स्वामी योगी राजकुमार जी ने यातायात की गांव में समुचित सुविधा नहीं होने के कारण किसी किसान के बैलगाड़ी में गोबर भरकर 2 किलोमीटर तक गोवर की ढुलाई बैल बन कर स्वयं ले गए और गोबर से कंपोस्ट खाद वर्मी खाद बनाने का प्रशिक्षण किसानों को नि:शुल्क दिया और धरती को पुनर्जीवन प्रदान करने का प्रशिक्षण व प्रेरणा देकर किसानों को कर मुक्त एवं जैविक खेती का अलख जगाया साथ ही गोंडा जिला में तहसील ओ बजीरगंज गांव कोंडरे प्रार्थमिक विद्यालय में जाकर नि:शुल्क प्रशिक्षण का आयोजन किया इसी प्रकार स्वामी जी के द्वारा उत्तर प्रदेश में घूम घूम कर विभिन्न जिलों में योग के प्रति भारत के भवि

करता हमने गलत प्रधानमंत्री चुना

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*-:करता हमने गलत प्रधानमंत्री चुना?:-* 1990 की घटना.. आसाम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. रास्ते में एक स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे का सफ़र उन्हें तय करना था लेकिन पहली गाड़ी में कुछ लड़को ने उनसे छेड़-छाड़ की इस वजह से अगली गाड़ी में तो कम से कम सफ़र सुखद हो यह आशा मन में रखकर भगवान से प्रार्थना करते हुए दोनों सहेलियाँ स्टेशन पर उतर गयी और भागते हुए रिजरवेशन चार्ट तक वे पहुची और चार्ट देखने लगी.चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत हो गयी क्यों की उनका रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाया था. मायूस और न चाहते उन्होंने नज़दीक खड़े TC से गाड़ी में जगह देने के लिए विनती की TC ने भी गाड़ी आने पर कोशिश करने का आश्वासन दिया....एक दूसरे को शाश्वती देते दोनों गाड़ी का इंतज़ार करने लगीआख़िरकार गाड़ी आ ही गयी और दोनों जैसे तैसे कर गाड़ी में एक जगह बैठ गए...अब सामने देखा तो क्या!  सामने दो पुरूष बैठे थे. पिछले सफ़र में हुई बदसलूकी कैसे भूल जाती लेकिन अब वहा बैठने के अलावा कोई चारा भी नहीं था क्यों की उस डिब्बे में कोई और जगह ख़ाली भी नहीं थी।गाडी निकल चुकी थी और दोनों की निगाहें TC को ढू

कोरोना और प्राकृतिक चिकित्सा

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*-:कोरोना और प्राकृतिक चिकित्सा:-* कोरोनावायरस जैसे अनेक वायरस व जीवाणु जनित रोगों का एकमात्र समाधान प्राकृतिक चिकित्सा। एक मामूली से अनजान वायरस ने विश्व इकोनॉमी को औंधे मुंह गिरा दिया.. चीन पाँच साल पीछे चला गया.. दुनियां भर को फतेह करने का ख्वाब देखने वाले चीन के सभी प्रोजेक्ट बंद पड़ चुके हैं जो उसने पच्चीस से ज्यादा देशों में चला रखे हैं.. वूहान जैसे कई शहर वीरान हो गए..  ईरान, इटली का इससे भी बुरा हाल है.. दस करोड़ से अधिक लोग अपने ही घरों में कैद हैं.. हजारों मारे गए, खरबों डॉलर का नुकसान चीन झेल रहा है.. भारत में प्रकृति_की_पूजा हजारों सालों से यूं ही नही होती आई है.. सनानत अगर नदियों_पेड़ों_पहाड़ों_सूर्य_बादल_हवा  और गाय को पूजनीय बताता है तो इसका ठोस_वैज्ञानिक_कारण है..  धरती_को_बचाना_है.. तो मानव मात्र की सभी सभ्यताओं को सनातन_की_शीतल_छांव में आना ही होगा.. ।

कोरोना जैसा घातक वायर से बचाव

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*-:कोरोना जैसा घातक वायर से बचाव:-* व्यक्ति स्वयं समझ ले, अन्यथा अतिवादिता बरतने पर प्रकृति तमाचा मार कर खुद रास्ते पर ले आती है। कोरोना जैसा घातक वायरस तो एक छोटा सबक भर हैं।           इससे डर की हालत ये है कि आज वे लोग हाथ मिलाने, #चुम्बन लेने, साथ साथ भोजन करने, किसी दूसरे का दिया हुआ समान प्रयोग करने से परहेज कर रहे हैं, जो इसी को #एडवांस होना मानते थे। जिनका एक दिन भी इन सबके बिन बीतना मुश्किल था।        मांसाहार वे लोग त्याग रहे हैं, जिनका इसके बिना #स्वाद ही बिगड़ जाता था।        असंख्य लोगों को दूसरों के हाथ बना व बाहरी भोजन अब जहर सा दिखने लगा है। #मांसाहार के पक्षधर लोग अब अपने छोटे छोटे घरों में ही वह जगह खोजने लगे हैं, जिसमे खुद की साग-सब्जी उगाकर खा सकें।     और तो और जो #जूते चप्पल पहनकर किसी भी जगह #मुंह उठाकर आहार ठूंसने को गौरव मानते थे, वे अपने घरों में #रसोई  बनाने लगे हैं, वह भी चप्पल जूते से मुक्त।        ये सभी वे लोग हैं जो शुद्धता व पवित्रता से परिपूर्ण भारतीय #ऋषिप्रणीत जीवन पद्धति व सदियों पूर्व गहन अनुसंधान से स्थापित #सनातनपरंपरा का न केवल उपहास उड़ाते थे, अपि

घर में शंख रखने के लाभ

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*-:घर में शंख रखने के लाभ:-* घर में शंख रखने और बजाने के ये हैं ग्यारह आश्चर्यजनक लाभ!!!!!! पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है। देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं। ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है!! सनातन धर्म की कई ऐसी बातें हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि कई दूसरे तरह से भी लाभदायक हैं। शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं। कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं। आगे चर्चा की गई है कि पूजा में शंख बजाने और इसके इस्तेमाल से क्या-क्या फायदे होते हैं। 1. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है। 2. शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते

सनातनी विचार

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*-:सनातनी विचार !:-* *भगवान के तीन ही मुख है प्रसाद ग्रहण करने के !* *1-- पहला गाय -गौवंश को दिया तृण सीधे भगवान को प्राप्त होता है और स्वाद की चर्चा तक गौमाता के यहाँ नहीं होती बस आशीर्वाद की प्राप्ति अवश्य होती है यह सनातन सत्य है।* *२---- भगवान का दूसरा मुख है संत- ब्राह्मण का मुख जहां स्वादिष्ट भोजन से आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपका दिया भोग नारायण तक पहुचता है। अंत में दक्षिणा अति आवश्यक है !!* *३ - --- भगवान का तीसरा मुख है अग्नि जहाँ हवन द्वारा जड़ी- बूटी,जौ -तिल,ड्राय-फ़ूडऔर गौ घृत से भगवान को भोग लगाया जाता है। जिसे साधारण मनुष्य अपनी गरीबी के कारण बहुत कम कर पाते है। जो कर पाते है उनका कल्याण और लोक कल्याण निश्चित है यह भी सनातन सत्य है।* *मनुष्य को इन तीनो में से जो सरल उपाय हो या जो उनके सामर्थ्य में हो उसको अपना कर भगवान को नित्य भोग जरूर लगाना चाहिए जिससे परमात्मा द्वारा प्राप्त मानव शरीर, जल,अग्नि, वायु, पृथवी और आकाश के उपभोग का कर्ज कुछ कम हो। वैसे तो माता- पिता और भगवान का कर्ज कोई चूका नहीं पाया पर स्वार्थी नहीं परमार्थी बनने की कोशिश मानव को जरूर करनी चाहिए यही सनात

सब घट मोरा साईंयां, सुनी सेज न कोय। बलिहारी उस घट की, जिस घट प्रगट होय।

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"सब घट मोरा साईंयां, सुनी सेज न कोय। बलिहारी उस घट की, जिस घट प्रगट होय। । "जिस दिन आप उसको अपने अन्दर देख लेंगे, जब आप अपने अन्दर उसका अहसास कर लेंगे उस दिन से आपके जीवन में शान्ति स्थापित हो जायेगी।वो है तो सभी के अन्दर, ऐसा कोई घट ही नहीं कि जिसमें वह परमपिता परमेश्वर न हो, लेकिन बलिहारी उस घट की, कि जिस घट में वो प्रगट हो गया।जीवन के अन्दर जरूरतों को समझना बहुत जरूरी होता है!अगर आपको यह नहीं मालूम कि आपकी जरूरत क्या है तो सचमुच में आप खाली हाथ आये और यहाँ से खाली हाथ ही जायेंगे।जिस प्रकार एक किसान को नहर से अपने खेत तक पानी ले जाने के लिए छोटी छोटी नालियां बनानी पड़ती है।ठीक उसी प्रकार शान्ति के लिए भी रास्ता बनाना है, परन्तु वह रास्ता अन्दर है, बाहर नहीं!यह कानून मनुष्य का बनाया हुआ नहीं है।यह कानून उस विधाता का बनाया हुआ है, जिसने सारे संसार की रचना करके हर एक व्यक्ति के अन्दर अपना मन्दिर बनाया है।वह हमारे और आप के अन्दर है। जिस दिन आप अपने जीवन के अन्दर उसका अहसास कर लेंगे, उस दिन आपका जीवन सफल हो जायेगा।

समय रहते होश में आओ

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*-:समय रहते होश में आओ:-* समय रहते होश में आओ और गौरक्षा का संकल्प लो  =========================== आज गौमाता पर बहुत बड़ा संकट आया हुआ है । केवल भारतवर्ष में ही कत्ल्खानों में प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में गौहत्याएं हो रही हैं । सुनने में आता हैं कि गौमाता पर पहले खौलता हुआ गर्म पानी छिड़का जाता है ताकि उनका चमड़ा नर्म हो जाए । तत्पश्चात उनके जीते जी ही शरीर से चमड़ा उतारा जाता है ताकि वह चमड़ा नर्म हो और अधिक से अधिक दाम में बिके । चमड़ा उतारने के बाद उन्हें बहुत निर्दयता से काटा जाता है ।  आज गौवंश समाप्त होने की स्थिति में आ गया है । अभी भी होश में न आए तो न गौवंश रहेगा, न गौ माता का दूध, घी और छाछ आदि पीने को मिलेगा । अनेक प्रकार के रसायनों एवं प्रिजर्वेटिव आदि को मिला कर बनाया गया दूध-घी आदि ही रह जाएगा जो कैंसर आदि गंभीर व्याधियों को जन्म देगा।  समय रहते चेत जाने में ही भला है । निर्णय आपके हाथ में है - गौरक्षा करना सही है अथवा कैंसर आदि भयंकर व्याधियों से तड़प तड़प कर मरना । *✍ कौशलेंद्र वर्मा।*

गाय का दूध सर्वोत्तम है

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*-:गाय का दूध सर्वोत्तम है:-* अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक ” THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY ” के अनुसार प्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की एनी पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है । लाभ :- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन निकलता है , इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है । गो वात्सल्य :- गौ माता बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखो बच्चों में भी वह अपने वच्चे को पहचान लेती है जवकि भैंस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी । गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक दूध नहीं देती है , जबकि भैस , जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और दूध दुह लो । बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका दूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है । खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला

योग की कुछ जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए

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*-:योग की कुछ जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए:-* 1. *रोगी के रोग* की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं ।     2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है । 3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे । 4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें । 5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी । 6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं । 7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी । 8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी । 9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* । 10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* । 11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी । 12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें । 13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें । 14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये । 15. *गिल

शाही स्नान

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*-:शाही स्नान:-* इस शाही स्नान का कर्ज चूका दीजिये आपको किसी कुम्भ स्नान की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और संसार रूपी इस अखाड़े में आपसे बड़ा महामंडलेश्वर कोई नहीं होगा। *✍ कौशलेंद्र वर्मा।*

कौन थे यह राजीव जी

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*-: कौन थे यह राजीव जी:-*  *-: श्रध्देय राजीव दीक्षित जी का परिचय कुछ छोटे शब्दो मे...👇🏻:-* ➯ आईए जानते है की हिंदुस्तान के यह सपूत कौन थे और इसने एक सच्चा हिंदुस्तानी बनकर क्या क्या किया।  1– जिसने इंडिया को भारत बनाया।  2– जिसने अन्ना हजारे को लोकपाल बिल के बारे में बताया  3– जिसने केजरीवाल की सच्चाई को सन् 2004 में ही बताया।  4– जिस मदर टेरेसा को मोहन भागवत जी 2015 में बता रहे थे कि वह कौन थी। वो राजीव जी ने सन् 1998 में ही बता दिया था।  5– आज हम मैगी के जिन कारणों को लेकर रोना रो रहे है उसे राजीव जी ने सन् 2003 में ही बता दिया।  6– जिसने पंडित नेहरु को मौलाना नेहरु बता दिया। और उसका पूरी तरह से पर्दाफाश किया।  7– जिसने अमेरिका में हुए 9/11 हमले को विश्व में पहली बार बताया कि वो हमला अमेरिका ने खुद ही कराया है।  8– जिसने हमे Right to Recall और जनमत संग्रह बताया।  9– जिसने सबसे पहले कालेधन की सचाई बताकर सुप्रीम कोर्ट को भी सख्ते में ला दिया। (☝🏻सुप्रीम कोर्ट को मुकदमें की सच्चाई की जाँच करने में 6 महीने लग गये कि इतनी पक्की जानकारी कहाँ से आई। )  10– जिसने लाल बहादुर शास्त्री जी क

वेद बहिष्कार विनाशक हुई

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*-:वेद बहिष्कार विनाशक होई:-* क्रोना वायरस के कारणों पर शोध से चीन ने जो  निशकर्ष निकाला है वे परोक्ष रूप में भारतीय वैदिक संस्कृति का अनुमोदन करता है।जो कि इस प्रकार है :- हमारे प्राचीन ऋषियों ने वेदों के अधार पर शवों को अग्नि में जलाकर दाह संस्कार करने का विधान बनाया है।  चीन ने घोषणा की है कि अगर शवों को जमीन में गाड देंगे,तो उनके शरीर में जो क्रोना वायरस या अन्य वायरस व बैक्टीरिया होते हैं वो जमीन में मिल जाएंगे और ये वायरस और बैक्टीरिया कभी नष्ट नहीं होंगे, बल्कि जमीन में ही फैलेंगे और जल तथा वायु को प्रदुषित करेंगे ।शवों को जला देने से आग के जरिये वायरस और बैक्टीरिया सदा सदा के लिए ख़त्म हो जाते हैं। इसी लिए चीन ने घोषणा की है कि जितने भी लोग क्रोना वायरस से पीड़ित होकर मर रहे  हैं, उन सभी का अंतिम संस्कार जलाकर ही किया जायेगा।  वेद और वैदिक सहित्य में शाकाहार को ही मनुष्य का भोजन कहा गया है।मांसाहार रोगों को बढ़ाने वाला और महापाप की श्रेणी में आता है।जिसका सेवन स्पष्ट रूप में वर्जित है।  मांसाहार कितना खतरनाक होता है , इस बात की जानकारी चीन को ही नही सारे विश्व को कारोने के कारण

माथे का टीका

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*-:माथे का टीका:-* *काफी समय पहले की बात है कि एक मन्दिर के बाहर बैठ कर एक भिखारी भीख माँगा करता था।* (वह एक बहुत बड़े महात्मा जी का शिष्य था जो कि इक पूर्ण संत थे) उसकी उम्र कोई साठ को पार कर चुकी थी। आने जाने वाले लोग उसके आगे रक्खे हुए पात्र में कुछ न कुछ डाल जाते थे। *लोग कुछ भी डाल दें, उसने कभी आँख खोल कर भी न देखा था कि किसने क्या डाला।*  उसकी इसी आदत का फायदा उसके आस पास बैठे अन्य भिखारी तथा उनके बच्चे उठा लेते थे। वे उसके पात्र में से थोड़ी थोड़ी देर बाद हाथ साफ़ कर जाते थे।  कई उसे कहते भी थे कि, सोया रहेगा तो तेरा सब कुछ चोरी जाता रहेगा। *वह भी इस कान से सुन कर उधर से निकाल देता था। किसी को क्या पता था कि वह प्रभु के प्यार में रंगा हुआ था।* हर वक्त गुरु की याद उसे अपने में डुबाये रखती थी।  *एक दिन ध्यान की अवस्था में ही उसे पता लगा कि उसकी अपनी उम्र नब्बे तक पहुंच जायेगी। यह जानकर वह बहुत उदास हो गया। जीवन इतनी कठिनाइयों से गुज़र रहा था पहले ही और ऊपर से इतनी लम्बी अपनी उम्र की जानकारी - वह सोच सोच कर परेशान रहने लग गया।*  एक दिन उसे अपने गुरु की उम्र का ख्याल आया। *उसे मालूम था

किसान आत्महत्या क्यों

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*-:किसान आत्महत्या क्यों:-* मित्रो इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी की पूरे देश का पेट भरने वाला किसान खुद भूख से मरता है आत्मह्त्या करता है ! उसके घर की छत टपकती है फिर भी वो बारिश का इंतजार करता है ! हर वर्ष हमारे दे किसान आत्महत्या कर रहे है लेकिन हमारे कृषि प्रधान देश मे ऐसा क्यों हो रहा है ?? और इसका समाधान क्या है ?? इस पोस्ट के माध्यम से हम इस समस्या का मूल कारण और समाधान की बात करेंगे ! देश मे किसानो की आत्महत्या के पीछे का सबसे कारण ये है की प्रतिदिन उनकी खेती का खर्चा बढ़ता जा रहा है और आमदनी कम होती जा रही है जिससे किसान कर्जे मे डूब रहा है और आत्महत्या कर रहा है ! खेती करने के लिए किसान अपने खेत रसायानिक खाद और कीटनाशक डाल रहा है !! जिसको यूरिया,DAP,superphosphate,कहते है और कीटनाशको को एंडोसल्फान ,मेलाथ्यान आदि कहते है ! तो ये विदेशी कंपनियो के कीटनाशक और रासायनिक खाद किसानो के बीच मे सबसे ज्यादा खरीदे जाते है और हर साल 4 लाख 80 हजार करोड़ रूपये ये कंपनियाँ हमारे देश के किसानो से लूटती है ! 4 लाख 80 हजार करोड़ को 100 करोड़ की जनता मे कैश बांटे तो प्रति व्यकित 4800 रूपये आएंगे