परमेश्वर की कृपा:
*-: परमेश्वर की कृपा:-* *प्रकृत्य ऋषि का* *रोज का नियम था कि* *वह नगर से दूर जंगलों में स्थित शिव मंदिर में भगवान् शिव की पूजा में लींन रहते थे।* *कई वर्षो से यह उनका अखंड नियम था उसी जंगल में एक नास्तिक डाकू अस्थिमाल का भी डेरा था।* *अस्थिमाल का भय आसपास के क्षेत्र में व्याप्त था अस्थिमाल बड़ा नास्तिक था वह मंदिरों में भी चोरी-डाका से नहीं चूकता था।* *एक दिन अस्थिमाल की नजर प्रकृत्य ऋषि पर पड़ी उसने सोचा यह ऋषि जंगल में छुपे मंदिर में पूजा करता है हो न हो इसने मंदिर में काफी माल छुपाकर रखा होगा आज इसे ही लूटते हैं।* *अस्थिमाल ने प्रकृत्य ऋषि से कहा कि जितना भी धन छुपाकर रखा हो चुपचाप मेरे हवाले कर दो।* *ऋषि उसे देखकर तनिक भी विचलित हुए बिना बोले- कैसा धन ?* *मैं तो यहाँ बिना किसी लोभ के पूजा को चला आता हूं।* *डाकू को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ।* *उसने क्रोध में ऋषि प्रकृत्य को जोर से धक्का मारा।* *ऋषि ठोकर खाकर शिवलिंग के पास जाकर गिरे और उनका सिर फट गया।* *रक्त की धारा फूट पड़ी।* *इसी बीच आश्चर्य ये हुआ कि ऋषि प्रकृत्य के गिरने के* *फलस्वरूप शिवालय की छत से सोने की कुछ मोहरें अस्...