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भाजपा दिल्ली के उपाध्यक्ष बढ़-चढ़कर लोगों की कह रहे हैं मदद-

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दिल्ली के एस. के. खारी,जिला उपाध्यक्ष, मयूर विहार भाजपा bjom, के द्वारा करीब डेढ़ सौ परिवारों के लिए सूखे राशन किट का वितरण किया जा रहा है।  हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान खारी जी ने बताया कि राशन के वितरण की शुरुआत राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय महामंत्री श्री अरुण सिंह जी के द्वारा की गई। राशन ईस्ट विनोद नगर, मयूर विहार, कल्याणवास, कल्याण पूरी, खिचड़ीपुर से आए गरीब व जरूरतमंद करीब डेढ़ सौ लोगों के परिवारों को वितरित किया गया। खारी जी ने बताया कि यह राशन एक परिवार के लिए तकरीबन 20 दिन के लिए पर्याप्त होगा। राशन किट में आटा, चावल, आलू, प्याज व सरसों का तेल इत्यादि शामिल है। राशन वितरण कार्यक्रम में पूर्व मेयर व वर्तमान काउंसलर श्री विपिन बिहारी जी, मयूर विहार काउंसलर भावना मलिक जी, कथा मयूर विहार भाजपा मंडल के सभी पदाधिकारी ,मंत्री उपाध्यक्ष, महामंत्री, इत्यादि शामिल रहे जिनमें से मुख्य मुकेश ठाकुर जी, विपिन जी, सोनू जी संजीव जी जगत जी, राजेंद्र डेरा जी, अजब सिंह भाटी, विपिन भाटी, बृजपाल खारी जी, जगजीत जी, मनोरमा जी व सुनीता जी शामिल रहे। देश में सबसे वैश्विक महामारी कोरोनावायरस शुरू ह

जिंदगी

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पता नहीं मेरा दिल कब टूट जाएगा, कोई अपना है पता नहीं कब रूठ जाएगा। उसके बगैर तो एक पल भी ना जी सकूं,  उस से दूर रहकर फिर मैं कैसे जी पाऊंगा।

मेरा इश्क़

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    जो मेरी रूह में बसती है, मोहब्बत तो मैं उस से ही करता हूं। जो मेरी परछाई बन कर रहती थी, उसी पे आज भी मै विश्वास करता हूं।  बेशक वह ना है हमारी,  फिर भी मैं उससे ही प्यार करता हूं।  

जैसी संगत बैठिए तैसोई फल दीन

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मनुष्य जिस संगति में बैठता है, वैसा ही फल मिलता है। कहने का अर्थ है कि संगति का प्रभाव अवश्य होता है। एक प्रसिद्ध कहावत है -  काजर की कोठरी में कैसो हू सायानो जाए, एक रेख काज़र की लागे ही लागे।  यदि सज्जन दुर्जनो से घिरा रहेगा, दुर्जनों के अवगुण उस पर जरूर प्रभाव डालेंगे। जिन मित्रों के साथ हम रहते है, उनके प्रभाव से बचना अत्यंत कठिन है। यदि मित्र अच्छे होंगे, तो हम उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। यदि वे मौजी, विलासी और घुमक्कड़ हैं, तो हमे भी वैसा ही बना देंगे। यदि वे पढ़ाकू, गंभीर और जागरूक होंगे, तो वे हमे भी जागरूक बना देंगे। अतः हमें सोच समझ कर मित्रता करनी चाहिए कि हम कैसे बनाना चाहते हैं? यदि आप सफल बनाना चाहते हैं तो सफल लोगों के साथ मित्रता करें। यदि समाज सेवा करना चाहते हैं, तो सज्जनों के साथ मित्रता करें। मित्रता अपना प्रभाव अवश्य छोड़ती है।

मेरे छोटे भाई विपुल को शादी की पांचवी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं

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हमारा विवेक न्यूज़ , नवयुवक जन कल्याण सेवा समिति, निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य ललित कुमार, विपिन सिंह भदौरिया, संदीप सिंह, सुनील प्रजापति, और हर्ष यादव की तरफ से छोटे भाई विपुल को अपनी पांचवी शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। आपकी जोड़ी हमेशा खुश रहे यह भगवान से कामना करते हैं।

छुआछूत

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पुराने जमाने में जब डाक्टर नहीं होते थे तब....... बच्चे की नाभि कौन काटता था मतलब पिता से भी पहले कौन सी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?  आपका मुंडन करते वक़्त कौन आपको स्पर्श करता था?  शादी के मंडप में नाई और धोबन भी होती थी  वाल्मीकियों द्वारा बनाए गए सूप से ही छठ व्रत होता है। आपके घर में कुआें से पानी कौन लाता था?  भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? डोली अपने कंधे पर रखकर कौन मिलों दूर ले जाता था जिसके जिंदा रहते किसी की मजाल ना थी कि आपकी बिटिया को छू भी ले।  किसके हाथो से बनाए मिट्टी की सुराही का पानी पीकर आपकी प्यास बुझती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?  कौन आपकी फसल लाता था?  कौन आपकी चिता जलाने में सहायक होता था?    जन्म से लेकर मृत्यु तक सब सबको कभी ना कभी स्पर्श करते थे।  और कहते है कि छुआछुत था.....  यह छुआछूत की बीमारी मुगलों और अंग्रेजों ने हिन्दू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी। जातियां थी पर उनके मध्य प्रेम की एक धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई जिक्र नहीं करता। अगर जातिवाद होता तो राम कभी शबरी के जूठे बेर नहीं खाते...... रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि के नाम से

राजा भोज का स्वप्न और सत्य का दिग्दर्शन

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राजा भोज उनके समय के बड़े ही साहसी, प्रतापी और विद्वान राजा थे । कहा जाता है कि राजा भोज ने अपने समय में सभी ग्रामों और नगरो में मंदिरों का निर्माण करवाया था । राजा भोज प्रजा की सुख सुविधाओं का बड़ा ही खयाल रखते थे । इतिहास से यह भी विदित होता है कि राजा भोज धर्म, कला, भवन निर्माण, खगोल विद्या, कोश रचना, काव्य, ओषध शास्त्र आदि के विद्वान थे । उनकी इसी विद्वता के रहते एक कहावत प्रचलित हुई – “कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तैली ”   राजा भोज ने अपने राज्य में बड़े बड़े बाग – बगीचे, मंदिर, तालाब आदि बहुत से सार्वजानिक स्थानों का निर्माण करवाया था । इस बात का राजा को बड़ा ही अभिमान था ।   एक दिन राजा भोज गहरी नींद में सो रहे थे तभी उन्हें एक स्वप्न आया । स्वप्न में उन्होंने देखा कि एक तेजस्वी व्यक्ति उनके सामने आ खड़ा हुआ है । राजा भोज ने उससे पूछा – “ तुम कौन हो ?”   वह तेजस्वी व्यक्ति बोला – “ राजन ! मैं सत्य हूँ, मैं तुझे तेरे कर्मों की सच्चाई बताने के लिए प्रकट हुआ हूँ । मेरे पीछे – पीछे चला आ !”   राजा तो जानता था कि उसने बहुत सारे पूण्य और परमार्थ के कार्य करवाए है अतः वह निश्चिन्त होकर प्रसन्नता